________________ - द्वंद्ववाद... . धर्मों में भी इतनी ही महत्वपूर्ण समता होगी ऐसा माना जा सकता है / परन्तु बराबर परीक्षा करने से इस प्रकार सिद्ध नहीं हो सकते / यज्ञों में वर्णन की जाने वाली जिस सोम का हिन्दु उपयोग करते उसी शब्दसे निकला हुआ होम शब्द पारसियों की धर्म पुस्तक में देखने में आता है। राक्षस और देवताओं के जाति वाचक नामों की तरह संस्कृत में ' असुर' और ' देव ' यह दो शब्द प्रयोग में आते हैं और फारसी में भी ' 'दइव' और ' अहुर' ऐसे दो शब्द मिलते हैं परन्तु इन दो भाषाओं में कोई भी देवता के लिए एक ही शब्द वर्ता हुआ नहीं देखा जाता और यद्यपि सामान्य रीति से हिंदु तथा पारसी अग्नि पूजक के रूपमें प्रसिद्ध हैं और इस प्रकार वह अग्नि पूजा भी करते आ रहे हैं तो भी इन दोनों की पूजा का प्रकार भिन्न ही होना चाहिए ऐसा हिंदुओं के वर्ते हुए 'अग्नि' शब्दसे (लेटिन-इमिस ) और पारसियों में उपयोग किए हुए ' आत श' शब्दसे ( कई एक विद्वानों के मतानुसार जिसका संबंध लैटिन एट्रियम शब्द के साथ है ) मालूम पड़ता है। ____ इस परसे ऐसा अनुमान हो सकता है कि दो धर्मों की पूर्व भूमिका में धार्मिक प्रगति की पूर्वावस्थामें जैसी व्यक्तियों को लक्ष्य में रख कर यज्ञ किए जाते हैं, वैसी दैवी. व्यक्तियों के सिवाय दूसरे किसी भी बात में समता नहीं देखी जाती / इससे वह पूर्व भूमिका हमें उपयोगी हो ऐसा नहीं