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________________ तुलनात्मक धम्मेविचार. में अपने ही सुख को ढूंडने वाली व्यक्ति का समावेश होता है। . ईसाई धर्म में मनुष्यत्व की ऐसी कल्पना की जाती है कि मनुष्य, दूसरों को, अपने पड़ोसी को, और अपने ईश्वर को चाहना और उसे अपनी नहीं परन्तु ईश्वर की इच्छा परिपूर्ण करने का प्रयत्न करना चाहिए। जितने प्रमाण में मनुष्य ईश्वर की इच्छा परिपूर्ण करने का प्रयत्न करता है उतने ही प्रमाण में उसकी योग्यता गिनी जाती है। वह अपनी बुद्धिका स्वार्थ में उपयोग करे अथवा ईश्वर की सेवा में लगाए तो भी बाकी रहे हुए सेवा करने के लिए उसे आदेश किया जाएगा और इस प्रकार उसके मनुष्यत्व का अधिक विश्वास होगा। और इस प्रकार अन्त में वह ईश्वरत्व को अधिक अच्छी तरह ग्रहण कर सकेगा / ईसाई धर्मानुसार मात्र प्रेम से ही मनुष्यत्व का विकास हो सकता है और प्रभुता का ज्ञान प्रेम से ही हो सकता है। षष्ठ प्रकरण द्वंद्ववाद स्कृत और फारसी अथवा ईरानी भाषा में इतनी स समता है, तथा सब आर्य अथवा हिंदु यूरोपीय Aist भाषाओं में, इन दो भाषाओं का आपस में इतना संबंध देखने में आता है कि इस से इन दो प्रजाओं के
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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