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________________ मणपाठः] हैमपञ्चपाठी. ऐषुकारि / सारसायन / चान्द्रायण / ताायण / द्याक्षायण / त्र्याक्षायण। ध्यक्षायण / त्र्यक्षायण / औलायन / सौवीर / दासमित्रि / दासमित्रायण / शौद्रकायण / शयण्ड / शाण्ड / शायाण्ड / शायण्डायन / खादायन / गौ(मा) लुकायन / विश्व / वैश्वधेनव / वैश्वमाणव / वैश्वदेव / तुण्ड / देव / तुण्डदेव / शायाण्डी / शायण्डो / वायौविद इत्यैषुकार्यादिः / 1339 मध्वादेः // 6 // 2 // 73 // मधु / बिस / स्थाणु / ऋषि / इक्षु / वेणु / कर्कन्धु / कर्कन्धू / शमी / करीर / हिम / किसर / सार्पण / रुवत् / पार्दा / कीशरु / इष्टका / पार्दाकी / शरु / शुक्ति / आसुति / सुत्या / आसन्दी / शकली / वेट / पीडा / अक्षशिल / अक्षशिला / आमिषी / इति मध्वादिः / 1345 रोऽश्मादेः // 2 // 79 // अश्मन् / यूष / ऊष / यूथ / मीन / गुद / दर्भ / कूट / गुहा / वृन्द / नग / कण्ड / गह्व / कन्द / पामन् इत्यश्मादिः / 1346 प्रेक्षादेरिन् // 62 / 80 // प्रेक्षा। फलका / बन्धुका / ध्रुवका / धुवका। क्षिपका / कूप / पुक / धुक / इक्कट / कङ्कट / संकट / मह / गर्त / न्यग्रोध / परिवाप / यवाष / हिरण्य इति प्रेक्षादिः / 1347 तृणादेः सल् // 62 // 81 // तृण / नद / जन / पर्ण / वर्ण / अर्णस् / वरण / बिल / तुस / वन / पुल इति तृणादिः / 1348 काशादेरिलः // 6282 // काश / वाश / अश्वत्थ / पलाश / पीयूक्षा / पाश / विश / तृण / नल / वन / मलवन / कर्दम / कर्पूर / बर्बर / वर्तुल / शीपाल / कण्टक / गुहा / कपित्थ इति काश्यादिः / 1349 अरीहणादेरकण् // 6 // 2 // 83 // अरीहण / खण्डु / खण्डू / द्रुघण किरण / खदिर / भगल / भलन्दन / उलुन्द / खावुरायण / खापुरायण / खानुरायण / कौष्टायन / कौद्रायण / भास्त्रायण / गायन / रैवत / रायस्पोष। विपथ / विपाश / उद्दण्ड / उदश्चन / ऐडायन / जाम्बवत / जाम्बवत् / शिंशपा / वीरण / धौमतायन / यज्ञदत्त / सुयज्ञ / बधिर / बिल्व / जम्बू / साम्बुरायण / कश / कृत्स्न / सुशर्मन् इति अरोहणादिः / 1350 सुपन्थ्यादेWः // 6 // 2 // 84 // सुपन्थिन् / सुवन्थिन् / संकाश / कम्पील। सुपरि / यूप / अश्मन् / अश्व / अङ्ग / नाथ। कुण्ट / कुट / कूट / मादित / मृष्टि / आगस्त्य / शूर / विरन्त / विकर / नासिका / प्रगदिन् / मगदिन् / कटिद / कटिप / कटिव / चूदार / मदार / मजार / कोविदार / कश्मीर / शूरसेन / कुम्भ / सीर / सुर / कसमल / अंस / नासा / रोमन् / लोमन् / तीर्थ / पुलिन / मलिन / अगस्ति / सुपथिन् / दश / नल / सकर्ण / कलिव / खडिव / गडिव / इति सुपन्थ्यादिः / 1351 सुतंगमादेरिञ् // 6 // 2 // 85 // सुतंगम / मुनिवित्त / विप्रचित्त / 123
SR No.032767
Book TitleHaimbruhatprakriya Mahavyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirijashankar Mayashankar Shastri
PublisherGirijashankar Mayashankar Shastri
Publication Year1931
Total Pages1254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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