________________ गणपाठः] हैमपञ्चपाठी. 957 दयः // 8 / 4 / 422 // हुहुरुघुग्घादयः शब्द-चेष्टानुकरणयोः // 8 / 4 / 423 // घइमादयोऽनर्थकाः // 84|424 // तादर्से केहि-तेहिं-रेसि-रेसिं-तणेणाः // 84 / 425 // पुनर्विनः स्वार्थे दुः // 8 / 4 / 426 // अवश्यमो डें-डौ // 84|427 // एकशसो डिः // 8 / 4 / 428 // अ-डड-डुल्लाः स्वार्थिक-क-लुक् च // 8 / 4 / 429 // योगजाश्चैषाम् // 84430 // त्रियां तदन्ताड्डोः // 8 / 4 / 431 // आन्तान्ताड्डाः // 84 / 432 // अस्येदे // 84433 // युष्मदादेरोयस्य डारः // 84434 // अतोत्तुलः // 8 / 4 / 435 // त्रस्य डेत्तेहे // 84|436 // त्वतलोः प्पणः // 84|437 // तव्यस्य इएव्वउं एन्वउं एवा // 8 / 4 / 438 // क्त्व इ-इउ-इवि-अवयः // 84|439 // एप्प्येप्पिण्वेव्येविणवः // 84|440 // तुम एवमणाणहमणहिं च // 84|441 // गमेरेप्पिण्वेप्प्योरेलुंग् वा // 8 // 4442 // तृनोणअः // 84443 // इवार्थे नं-नउ-नाइ-नावइ-जणि-जणकः // 84444 // लिङ्गमतन्त्रम् // 84445 // शौरसेनीवत् // 84446 // व्यत्ययश्च // 4|447 // शेषं संस्कृतवत्सिद्धम् // 8 // 34 // // इत्यष्टमाध्यायस्य चतुर्थः पादः // // समाप्तो हैमसूत्रपाठः // // अथ हैम-गणपाठः॥ 162 भ्रातुष्पुत्रकस्कादयः॥ 2 // 3 // 14 // परमसर्पिष्कुण्डिका। परमधनुष्कपालम्। परमबर्हिष्पूलः। परमयजुष्पात्रम्। अत्र सर्पिष्कुण्डिकाधनुष्कपालबर्हिःपूलयजुष्पात्राणां समासेऽसमस्तस्येत्यनेन षत्वे सिद्धेऽपि समस्तार्थमिह पाठः। अन्ये त्वेषां समस्तानां षत्वं न मन्यन्ते / तन्मते परमसर्पिःकुण्डिकेत्यादिषु षत्वं न भवति। कस्कः। वोप्सायां द्विवचनम् / कुतः कुतः आगतः कौतस्कुतः। शुनस्कर्णः। 'षष्ठयाः क्षेपे' इत्यलुप् / सद्यस्कालः। बहुव्रीहिरसमासो वा / सद्यः क्रयणं सद्यस्क्रीः। तत्र भवः साद्यस्क्रः। भ्रातुष्पुत्र / सर्पिष्ण्डिका / बर्हिःपूल / यजुष्पात्र / इति भ्रातुष्पुत्रादयः। कस्कः। कौतस्कुतः। शुनस्कर्णः। सद्यस्कालः। सद्यस्क्रीः। साद्यस्क्रः। भास्करः। अहस्करः। अयस्काण्ड / तमस्कान्त / अयस्कान्त / अयस्कुण्ड / मेदस्पिण्ड / अयस्पिण्ड। इति कस्कादयः। बहुवचनमाकृतिगणार्थम्। तेन यथादर्शनमन्येऽपि भवन्ति / 171 वाहर्पत्यादयः // 1 / 3 / 58 // अहर्पतिः। अहःपतिः। अह पतिः। गीपतिः। गी:पतिः / गीपतिः। धूर्पतिः। धूःपतिः। धूप्पतिः / इत्यहर्पत्यादयः। बहुवचनमाकृतिगणार्थम् / 427 गौरादिभ्यो मुरब्यान्डीः // 24 // 19 // गौर। शबल / कल्माष। सारङ्ग। पिशङ्ग / हरिण / पाण्डुर / अमर / सुन्दर / विकल। विष्कल / पुष्कल / निष्कल।