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________________ भ्वादयः] सिद्धहैमबृहत्मक्रिया. 517 168 शान्दानमान्वधान्निशानार्जवविचारवैरूप्ये दीर्घश्चेतः॥३॥४७॥ शान् दान् मान् वध् इत्येतेभ्यो यथासंख्यं निशाने आर्जवे विचारे वैरूप्ये च वर्तमानेभ्यः स्वार्थे सन् प्रत्ययः स्याद् दीर्घश्चैषां द्विवचने सति पूर्वस्येकारस्य / 169 सन्यस्थ // 4 / 1 / 59 // धातोद्वित्वे सति पूर्वस्याकारस्य सनि परे इकारः स्यात् / बीभत्सते चित्तम् / विकुरुते इत्यर्थः। अर्थनिर्देशः किम् / अर्थान्तरे मा भूत् / बाधयति / नाधृङ् नाथूवत् // 160 // पनि स्तुतौ // 161 // आयप्रत्यये पनायति / पनायाञ्चकार / पेने / पणिवत् / मानि पूजायाम् // 162 // विचारे मीमांसते / तिपृङ् ष्टिपृङ् टेपृङ् क्षरणे // 145 // तेपृङ् कम्पने च // 166 // टुवेपृङ् केपृङ् गेपृङ् कपुङ् चलने॥१७०॥ ग्लेपृङ् दैन्ये च / चाचलने / गतावप्यन्ये // 171 // जिग्लेपे। मेघङ रेपृङ् लेपृङ् गतौ // 174 // त्रपौषि लज्जायाम् // 17 // त्रपते / तृफलेत्येत्वे त्रेपे। औदित्त्वादिड्वा / त्रपिता } त्रप्ता / गुपि गोपने // 176 / / गोपते / गर्दायां सनि जुगुप्सते / अबुङ् खुङ् शब्दे // 178 // अम्बते। आनम्बे / रम्बते / लवुङ् अवस्रंसने च // 179 // कबृङ् वर्णे // 180 // कबते / वर्णो वर्णनं शुक्लादिश्च। क्लीबृङ् अधाष्टर्थे // 181 // क्षीबृङ् मदे // 182 // शीभृङ् चीभृङ् शल्भि कत्थने // 186 / / वल्भि भोजने // 186 // गल्भि धाष्टा // 187 // रेभृङ् अभुङ् रभुङ् वभुङ् शब्दे // 193 // ष्टभुङ् स्कभुङ् स्तम्भे // 196 // स्तम्भः क्रियानिरोधः। स्तम्भते / स्कम्भते / जभुङ जभैङ जुभुङ गात्रविनामे // 199 / / जम्भते / जभते / जृम्भते / रभिं रामस्ये // 200 // आरभते / डुलभिष प्राप्तौ // 201 // लभते / अलब्ध / लेभे / भामि क्रोधे // 202 // क्षमौषि सहने // 203 // क्षमते / अक्षमिष्ट / अक्षस्त / चक्षमे / चक्षमिषे / चक्षसे / चक्षमिध्वे / चक्षध्वे / चक्षमिवहे / मोनो बोश्चेति नकारादेशे चक्षण्वहे / चक्षमिमहे। चक्षण्महे / क्षमिपीष्ट / क्षेसीष्ट / क्षमिता / क्षन्ता। क्षमिष्यते / शंस्यते / कमुङ् कान्तौ // 204 // कान्तिरिच्छा। 170 कमेणिङ् // 3 / 4 / 2 // कमेर्धातोः स्वार्थ णिङ् प्रत्ययः स्यात् / णकारो वृद्धयर्थः। डकार आत्मनेपदार्थः। कामयते / अद्यतन्यां णिश्रीति ङप्रत्यये अकाम् इ अ त इति स्थिते। 171 णेरनिटि // 4 / 3 / 83 // अनिव्यशिति प्रत्यये गेलृक् स्यात् / इय्य्
SR No.032767
Book TitleHaimbruhatprakriya Mahavyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirijashankar Mayashankar Shastri
PublisherGirijashankar Mayashankar Shastri
Publication Year1931
Total Pages1254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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