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________________ मकरणम् ] सिद्धहैमबृहत्पक्रिया. 2115 सुखादेः // 7 / 2 / 63 // सुखादिभ्यो मत्वर्थे इन्नेव स्यात् / सुखी / दुःखी। ___2116 मालायाः क्षेपे // 7 / 2 / 64 // मालाशद्धात् क्षेपे गम्यमाने मत्वर्थे इन्नेव स्यात् / माली / क्षेप इति किम् / मालावान् / मालाशद्धः शिखादिः, ततः क्षेपे मतुनिवृत्त्यर्थं वचनम् / 2117 धर्मशीलवर्णान्तात् / / 7 / 2 / 66 // धर्म शील वर्ण इत्येतदन्तान्मत्वर्थे इन्नेव स्यात् / मुनिधर्मी / यतिशीली / ब्राह्मणवर्णी / 2118 बाहूर्वादेबलात् // 7 // 2 // 66 // वाहु-ऊरुपूर्वाद् बलान्तानाम्नो मत्वर्थे इन्नेव स्यात् / बाहुबली / ऊरुबली / 2119 मन्माब्जादेर्नानि // 72 / 67 // मन्नन्तेभ्यो मान्तेभ्योऽब्जादिभ्यश्च मत्वर्थे इन्नेव स्यात् नान्नि / दामिनी / भामिनी / अब्जिनी / कमलिनी / नाम्नीति किम् / सामवान् / 2120 हस्तदन्तकराज्जातौ // 7 / 2 / 68 // हस्त दन्त कर इत्येतेभ्यो मत्वर्थे इन्नेव स्यात् समुदायेन चेजातिरभिधीयते / हस्तोऽस्यास्तीति हस्ती / दन्ती / करी / जाताविति किम् / हस्तवान् / दन्तवान् / करवान् नरः।। 2121 वर्णाद् ब्रह्मचारिणि // 2 // 69 // वर्णशद्वान्मत्वर्थ इन् स्यात् ब्रह्मचारी चेदभिधेयः। वर्णशद्धो ब्रह्मचर्यपर्यायः / वर्णो ब्रह्मचर्यमस्यास्ति वर्णी ब्रह्मचारीत्यर्थः। अन्ये तु वर्णशद्धो ब्राह्मणादिवर्णवचनः / तत्र ब्रह्मचारीत्यनेन शूद्रव्यवच्छेदः क्रियते इति मन्यन्ते तेन त्रैवर्णिको वर्णीत्युच्यते / सहि विद्याग्रहणार्थमुपनीतो ब्रह्म चरति न शूद्र इति / ब्रह्मचारिणीति किम् / वर्णवान् / 2122 पुष्कराशे // 72 / 70 // पुष्करादिभ्यो मत्वर्थे इन्नेव स्यात् देशेऽभिधेये / पुष्करिणी। पद्मिनी / देश इति किम् / पुष्करवान् हस्ती / कथं कुमुदती सरसी कुमुद्वान् ह्रदः नड्वान् नड्वलमिति / नडकुमुदेत्यादिना चातुरथिकेन मतुना भविष्यति / 2123 सूक्तसानोरीयः // 7 // 2 // 79 // सूक्ते सामनि चाभिधेये मखथै ईयः 54
SR No.032767
Book TitleHaimbruhatprakriya Mahavyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirijashankar Mayashankar Shastri
PublisherGirijashankar Mayashankar Shastri
Publication Year1931
Total Pages1254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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