________________ 1020 हैमपञ्चपाठी. (भव० ) कूचिका क्षीरविकृतिः। कूचिका कपाटाकुटः। अर्थप्राधान्यात् कुश्चिकापि / टीका वृत्तिः / कोशिका दीपभाजनम् / केणिका गुणलयनी / ऊर्मिका अगुलीयकम् / जलौका रक्ताकर्षः प्राणी। अर्थप्राधान्याजलूकाऽपि / प्राविका श्येनः। धूका पताका / कालिका क्षारविशेषःकोटश्च / दीर्घिका परिखा। उष्ट्रिका अलिञ्जरः / अर्थप्राधान्यान्नन्दापि // 12 // (शि )शलाका वालुकेषीका विहङ्गिकेषिके उखा // परिखा विशिखा शाखा शिखा भङ्गा सुरङ्गया // 13 // (अव०) शलाका चित्रकूचिका / वालुका सिकता / वालुकान्तत्वाद्धिमवालुकापि कर्पूरे / इषीका वीरणशलाकाविशेषः / विहङ्गिका भारयष्टिः / ईषिका गजाक्षिकूटम् / उखा स्थाली। परिखा खेयविशेषः। विशिखा प्रतोली। शाखा भुजः / शिखा चूडा / भङ्गा तृणधान्यम् / सुरङ्गा गूढमार्गः / अर्थप्राधान्यात् संधिलापि // 13 // जङ्घा चश्चा कच्छा पिच्छा पिञ्जा गुञ्जा खजा प्रजा // झझा घण्टा जटा घोण्टा पोटा भिस्सटया छटा // 14 // (अव०) जङ्घा अङ्गविशेषः। चञ्चा तृणमयः पुरुषः। कच्छा कच्छोटिकापि / अर्थप्राधान्यात् कच्छाटिकापि / पिच्छा कालिकम् / पिञ्जा तूलम् / गुञ्जा पटहः। खजा मन्थः दर्विश्च / अर्थप्राधान्यात् खजाकापि / प्रजा लोकः। झञ्झा सशीकरो मेघवातः। घण्टा वाद्यविशेषः। अर्थप्राधान्यात् किङ्किणीक्षुद्रघण्टिके अपि / जटा कचविकारः। घोण्टा बदरीफलम् / पोटा शण्डः / अर्थप्राधान्यात् तृती. याप्रकृतिरपि / भिस्सटा दग्धिका / छटा समूहविशेषः // 14 // विष्ठा मञ्जिष्ठया काष्ठा पाठा शुण्डा गुडा जडा।। वेडा वितण्डया दाढा राढा रीढाऽवलीढया // 15 // (अव०) विष्ठा पुरोषम् / मञ्जिष्ठा रागद्रव्यविशेषोऽर्थप्राधान्यात् अरुणापि / काष्ठा मर्यादा / पाठा औषधविशेषः / शुण्डा करिहस्तः / गुडा स्नुही। गुडिकापि च / जडा शूकशिम्बी / वेडा नौः / वितण्डा वादभेदः / दाढा दंष्ट्रा / राढा शोभा / रीढा अवलेहा / अवलीढापि // 15 // घृणोर्णा वर्वणा स्थूणा दक्षिणा लिखिता लता // तृणता त्रिता त्रेता गीता सीता सिता चिता // 16 // ( अव० ) घृणा निन्दा / ऊर्णा मेषरोम / वर्वणा मक्षिका / स्थूणा गृहादीनामुत्तम्भनकाष्ठम् / दक्षिणा यज्ञदानम् / लिखिता लिपिः / तृणता चापम् / त्रिवृता औषधिः। अर्थप्राधान्यात् अरुणादयोऽपि तत्पर्यायाः। त्रेता युगविशेषः। गीता शास्त्रविशेषः / सीता लाङ्गलपद्धतिः। सिता शर्करा। अर्थप्राधान्यात् कठिन्यपि / चिता मृतकदाहाय काष्ठशय्या // 16 //