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________________ हैमपञ्चपाठी. [हैमयण / संतपन / मधुप / द्विधा(ता) / चण्डाल / गायत्री / उष्णिह् / अनुष्टुभ् / बृहती / पङ्क्ति। त्रिष्टुभ् / जगती / इति प्रज्ञादिराकृतिगणः / 2222 विनयादिभ्यः // 72 / 169 // विनय / समय / समाय / कथंचित् / अकस्मात् / उपचार / व्यवहार / समाचार / संप्रदाय / समुत्कर्ष / संगति / संग्राम / समूह / विशेष / अव्यय / अत्यय / अनुगादिन् / इति विनयादिराकृतिगणः। यावादिभ्यः कः // 73 // 15 // याव / मणि / अवि / अस्थि / लात्र / पात्र / पीत / स्तब्ध / ज्ञात / अज्ञात / पुण्य / नित्य / सत्वत् / दशार्ह / वयस् / चन्द्र / जानु / भूत / भिक्षु इति यावादिराकृतिगणः / / 2295 यौधेयादेरञ् // 73 // 65 // भर्गाद्यन्तर्गणो यौधेयादिः // 2300 पोदेरण् // 7 // 3 // 66 // पशु / रक्षस् / असुर / वह्निक / वयस् (वचस् ) / वसु / मरुत् / सत्वन् / सत्वन्तु / दशाह / पिशाच / अशनि / कार्षापण इति पर्खादिः / 2301 दामन्यादेरीयः // 3 // 67 // दामनि / औलपि / औपलि / वैजवापि / औदकि / आच्युतन्ति / काकन्दि / काकन्दकि / ककुन्दि / ककुन्दकि / शाक्रन्तपि। (शत्रुन्तपि)। सार्वसेनि / बिन्दु। तुलभा / मौञ्जायन / औदमेधि / औपबिन्दि / सावित्रीपुत्र / कौण्ठोपरथ / कौण्डोपरथ / कौण्ठारथ / दाण्डकि / क्रौष्टकि / जालमानि / जारमाणि / ब्रह्मगुप्त / ब्राह्मगुप्त / जानकि / इति दामन्यादिः। // इति पूर्वार्द्धम् // // अथोत्तरार्द्धम् // 201 ऋरललं कृपोऽकृपीटादिषु // 2 // 3 // 89 // अकृपीटादिष्विति किम् / कृपीटम् / कृपणः / कृपाणः / कृपः / कर्पूरः / कर्परः / कर्पटः / कर्पटिः / इत्यादि / बहुवचनमाकृतिगणार्थम् / 481 च्व्यर्थे भृशादेः स्तोः // 3 / 4 / 29 // भृश / उत्सुक / शीघ्र / चपल / पण्डित / अर / कण्डुर / फेन / शुचि / नील / हरित / मन्द / मद्र / भद्र / संश्चत् / तृषस् / रेफत् / रेहत् / वेहत् / वर्चस् / उन्मनस् / सुमनस् / दुर्मनस् / अभिमनस् इति भृशादिः // 482 डाउलोहितादिभ्यः षित् // 34 // 30 // लोहित / जिह्म / श्याम / धूम / चर्मन् / हर्ष / गर्व / सुख / दुःख / मूर्छा / निद्रा / कृपा / करुणा / 487 सुखादेरनुभवे // 34 // 34 // सुख / दुःख / तृप्र / कृच्छ्र / आन / अलीक / करण / कृपण / सोढ / प्रतीप / 488 शब्दादेः कृतौ वा // 3 // 4 // 35 // शब्द / वैर / कलह / ओघ / वेग / युद्ध / अभ्र / कण्व / मम / मेघ / अट / अट्या / अटाट्या / सोका / सोटा। कोटा / पोटा / प्लुष्टा / सुदिन / दुर्दिन / नीहार //
SR No.032767
Book TitleHaimbruhatprakriya Mahavyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirijashankar Mayashankar Shastri
PublisherGirijashankar Mayashankar Shastri
Publication Year1931
Total Pages1254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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