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________________ 74 अनुक्रमणिका 1. नय, अनेकान्त और विचार के नियम आचार्य श्री महाप्रज्ञजी 2. जैन दार्शनिक सिद्धान्त सिद्धेश्वर भट्ट 3. जैन दर्शन में अस्तित्व की अवधारणा समणी मंगलप्रज्ञा 4. द्रव्य-गुण पर्याय : भेदाभेद समणी ऋजुप्रज्ञा 5. जैन दर्शन की द्रव्य, गुण एवं पर्याय की ___ अवधारणा का समीक्षात्मक विवेचन सागरमल जैन 6. पर्याय की अवधारणा व स्वरूप देवेन्द्रकुमार शास्त्री 7. जैनदर्शन में पर्याय का स्वरूप वीरसागर जैन 8. शुद्धपर्याय का स्वरूप क्या है ? नीतू जैन 9. 'पर्याय' की अवधारणा में निहित दार्शनिक मौलिकता एवं विशेषता सुदीप जैन 10. जैनदर्शन में द्रव्य-गुण-पर्याय भेदाभेदवाद की अवधारणा अशोक कुमार जैन 11. सत्ता का द्रव्यपर्यायात्मक पर्याय राजकुमारी जैन 12. द्रव्य, गुण और पर्याय का पारस्परिक सम्बन्ध : सिद्धसेन दिवाकरकृत 'सन्मति-प्रकरण' के विशेष सन्दर्भ में श्रीप्रकाश पाण्डेय 13. निश्चयनय और व्यवहारनय के आलोक में वर्णित पर्याय की अवधारणा जयकुमार उपाध्ये 14. पर्याय मात्र को ग्रहण करने वाला नय : ऋजुसूत्रनय अनेकान्त कुमार जैन 15. जैन दर्शन में पर्याय कुलदीप कुमार 16. पज्जमूढा हि परसमया राकेश कुमार जैन 17. पर्यायाधिकार ब्र० कु० कौशल 18. क्रमबद्धपर्याय हुकमचन्द भारिल्ल 19. जैनदर्शन में बौद्धसम्मत 'पर्याय' की समीक्षा भागचन्द्र जैन 20. जैन साधना पद्धति : मनोऽनुशासनम् हेमलता बोलिया 127 134 142 149 165 177 15
SR No.032766
Book TitleJain Dharm me Paryaya Ki Avdharna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Bhatt, Jitendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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