________________ इस ग्रंथ में समाविष्ट सभी शोध-आलेख जैन धर्म में पर्याय की अवधारणा को विभिन्न आयामों से अध्ययन करते हैं। ज्ञातव्य हो कि द्रव्य एवं गुण के विषय में भारतीय दार्शनिकों ने गंभीर चिन्तन किया है किन्तु पर्याय के विशिष्ट सिद्धान्त का मात्र जैन धर्म-दर्शन में ही अनुशीलन हुआ है। प्रस्तुत ग्रंथ आधुनिक विद्वद् समाज के समक्ष 'जैन धर्म में पर्याय की अवधारणा" के रूप में प्रथम प्रस्तुति है जिससे दार्शनिक विद्वानों एवं चिन्तकों को महत्तम लाभ मिल सकेगा। इस क्षेत्र में और अधिक चिन्तन एवं संशोधन हो ऐसी कामना ! ग्रंथ प्रकाशन में संस्थान के सभी कर्मचारियों के सक्रिय सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित करता जितेन्द्र बी. शाह अहमदाबाद रथयात्रा, 2017