________________ . आ उपरथी ऐतिहासिक व्यक्तिना चरित्रने निरूपता सुबद्ध, सुदीर्घ अने सळंग वीररसकाव्यने 'प्रबन्ध' तरीके ओळखवामां आवतुं एम लागे छे.' * नेमिरंगरत्नाकर छन्द ' मां आपणी दृष्टिए पौराणिक पण जैन धर्मनी दृष्टिए ऐतिहासिक एवो उदात्त प्रसंग आलेखवामां आव्यो छे. जैनोना तीर्थंकर नेमिनाथनुं चरित्र विगते तेमां वर्णववामां आव्युं छे. बीजा रसनी साथे एनो मुख्य रस धर्मवीर छे. एना बे खंडमां बहुधा मात्रामेळ छंदनो उपयोग करवामां आव्यो छे. एनी रचना सळंग, सुसंकलित अने सुव्यवस्थित छे. आ रीते एमां प्रबन्धनां लक्षणो जळवायां छे. 3. पद्यबन्ध 'नेमिरंगरत्नाकर छन्द 'मां नीचे प्रमाणे छन्दो वपराया छे. 1. अनुष्टुप-पहेला अधिकारना आरम्भना श्लोकमां अने बीजा अधिकारनी 149 मी कडीमां आ छन्द प्रयोजायो छे. एमां आठ अक्षरनां चार चरणोमांनो पांचमो अक्षर लघु अने छठ्ठो अक्षर गुरु होय छे, तेमज पहेला अने त्रीजा चरणनो सातमो अक्षर गुरु अने बीजा तथा चोथा चरणनो सातमो अक्षर लघु होय छे. दरेक चरणनो आठमो अक्षर गुरु होय छे. 2. दुहा-बीजा अधिकारनी कडी 1 थी 6, 11 थी 15, 20 थी 25, 30 थी 41, 45 थी 50 तेमज 66 अने ६७मां आ छन्द प्रयोजायो छे. __ दुहामा पहेला तथा त्रीजा चरणमा 13 तेमज बीजा अने चोथा चरणमा 11 मात्रा, 13 मी मात्रा गुरु अने पंक्तिने अन्ते अनुक्रमे गुरुलघु अक्षर होय छे. कोई वार पंक्तिना छेल्ला अक्षर गुरु पण होय छे. तेनां उदाहरण बीजा अधिकारनी 20 मी अने 33 मी कडीमां मळे छे. 3. रोळा अने छप्पा-पहेला अधिकारनी कडी 88, 89 अने 90 मळीने छप्पो बने छे. एवी रीते बीजा अधिकारनी कडी 97 थी १२०-दरेक त्रण कडी मळीने छप्पो बने छे. 160, 161 अने 162 कडीनो पण छप्पो छे. 3. प्राचीन-मध्यकालीन गुजरातो साहित्यमा साहस अने प्रेमनां कथाकाव्यने पण प्रबन्धनुं नाम आपवामां आव्यु छे. उ. त., भोमनो 'सदयवत्सवीर प्रबन्ध' (वि. सं. 1466) अने गणपतिनो 'माधवानल-कामकन्दला प्रबन्ध' (वि. सं. 1574). आ परथी लागे छे के कोई पण प्रकारनी सुदीर्घ अने सुबद्ध रचनाने प्रबन्धनु नाम आपवामां आपतुं. बीजो तरफथी नाल्हकविकृत 'विसलदे रासो' (वि. सं. 1272), अंबदेवसूरिकृत 'समरारासु' (वि. सं. 1371 पछी) वगेरेनुं वस्तु ऐतिहासिक होवा छतां तेमने 'रास' तरीके ओळखाववार्मा आवेल छे. आ परथी लागे छे के रास अने प्रबन्धनो मेद बहु कडक नहोतो.