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________________ नेमिरंगरत्नाकर छन्द समालोचना लावण्यसमयरचित 'नेमिरंगरत्नाकर छन्द' मध्यकालीन गुजराती साहित्यमां विशिष्ट स्थान धरावे एवी, अनेक दृष्टिए महत्त्वनी, कृति छे. 1. रचनासमय सामान्य रीते प्राचीन-मध्यकालीन साहित्यकृतिना अन्ते रचनासंवतनी संख्या आपवाआं आवे छे. पण केटलीक वार जेनी संख्या निश्चित होय तेवी वस्तुओनो उल्लेख करी रचनासाल सूचववामां आवे छे. उ. त., जैनकवि जीवणजीए पोतानी चोवीसीने अन्ते तेनी रचनासाल नीचे प्रमाणे जणावी छ : शशि मुनि शंकर लोचन, परवन वर्ष सोहाया; भादो मासनी वदि आद्या गुरु, पूर्ण मंगल वरताया रे. अहीं शशि=१, मुनि=७, शंकरलोचन=३ अने परवत=८ ए प्रमाणे सीधा क्रममा संख्या लेतां चोवीसीनी रचना सं. १७३८मां थयानुं समजाय छे. केटलीक वार आवी रीते सूचवायेली संख्या ऊलटा क्रममा लेवानी होय छे. उ. त., यशोविजयजीकृत 'जंबूस्वामी रास'मां रचनासाल आ प्रमाणे आपी छे : नंद तत्त्व मुनि उडुपति संख्या वरस तणी ए धारो जी, खंभनयर मांहिं रहिअ चोमासु, रास रच्यो छइ सारो जी. अहीं नंद-९, तत्त्व=३, मुनि-७ अने उडुपति-१, ए रीते ९३७१नी संख्या आवे छे, पण तेनो स्वीकार थई शके एम नहि होवाथी एने ऊलटा क्रममा लेवी पडे छे अने ए रीते रच्यासमय सं. 1739 समजाय छे. लावण्यसमये पण आवी ज युक्तिपूर्वक 'नेमिरंगरत्नाकर छन्द'ना रच्यासमयनो उल्लेख कर्यो छे : तिथिमान आणी तिणि प्रमाणी, संवत जाणी सुहकरो, रसवेद वामिई वरस नामिई माह मास मनोहरो. (अधिकार २-कडी 154) अहीं रस-६ अने वेद=४, वामिइं एटले डाबी तरफथी-ऊलटा क्रममां. लावण्यसमयनो जन्म वि. सं. १५२१मां थयो हतो अने वि. सं. १५८९मां एमणे
SR No.032757
Book TitleNemirangratnakar Chand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Jesalpura
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages122
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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