________________ आपणा एक सुप्रसिद्ध विवेचके का छे : " इतिहास अने कविता लेखे आ प्रबंधनुं मूल्य एटलुं नथी, जेटलं ए युगनी समाजस्थिति अने लोकाचार पर परोक्ष प्रकाश पाडनार कृति तरीके छे."४८ आम छतां गुणपक्षे आ कृतिमां घणुं छे. लावण्यसमयनी आवी शक्तिमा एमनी वर्णनशक्ति खास ध्यान खेंचे छे. श्री. कनैयालाल मुनशी आ शक्तिने बिरदावतां कहे छे : " कविनी वर्णन करवानी शक्ति ऊंचा प्रकारनी छे. वर्णननो विषय गमे तेटलो शुष्क होय पण ए एवी छटाथी वर्णन करे छे के वांचवानुं अधूरं मूकीने ऊठवानुं मन न थाय."४९ विमलना जन्म वखते कलियुग हतो. कलियुगनां माणसोनां स्वभावचित्रो कवि सरस आलेखे छे. उच्छृखल स्त्री एना पतिने कहे छे : 'छोरू घरि कुंआरा सात, कहिनु तात नि कहिनी मात, रलइ तूंह निते घर भरइ, ते खाइ सहू ठालू करइ. 10 आपण बे जण केरु वरु, मांनु बोल अम्हारु खरु, मायबापथी थाउ जुआ, धन मेलीनि भरीइ कूआ. 11 रातिदिवस रलखू घर भणी, किशी वात मावित्रह तणी, राछपीछ मझ पीहर तणां, आण। घर भरेशृं घणां.' 12 (खंड 3) वहुनुं मानीने छोकरो जुदो रहे छे. माबाप विचारे छ: 'जोज्यो कलयुग करणी इशां, मायबापि दुष सहीआं किशां. 16 देवदेवाडे मांन्या भोग, मायताय मिलया संयोग. 17 दस मसवाडा दोहिल धरिउ, जणिउ पुत्र नि पोढउ करिउ. 18 मायतात तव हरषिइं भरियां, धन वेची घर ठालां करियां, जोज्यो ते बेटानां हेज, मायबाप बिहु अलगी शेज. 21 बेटानां धोयां मलमूत्र, जांणिउं राषेशि घरसूत्र, 22 मस्तकि टोपी मदघणी, करि कडली ते फइअर तणी. 23 48. 'गुजराती साहित्य' (भाग पहेलो)-श्री, अनन्तराय म. रावक 49, 'नरसिंहयुगना कविओ.'