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________________ सांभलि रावण राजीया, जासे महियलि माम रे सती सीता तइं का हरी, विरी वंकडो राम रे.' 2 एनी रचना वि. सं. १५६२मा थई छ : ‘संवत पंनर बासठि रच्यो रास संवाद रे.'४७ 59 9. वैराग्य विनति जैनोना प्रथम तीर्थंकर आदीश्वरनी आ प्रार्थना छे. 'आदिनाथ विनति' ने नामे पण ए मळे छे. एनी रचना वि. सं. १५६२ना आसो सुदि 10 ना रोज थई छ : 'पंनर बासठइ आदिजिन तुइ, करी वीनती ऊलटि घणइए, आसो मसवाडइ दसमी दिहाडइ, मुनि लावण्यसमइ भणइ ए. 47 47 कडीनी आ कृतिमां कवि, छन्द अने प्रास उपरनुं प्रभुत्व जणाई आवे छे. 10. सुरप्रियकेवली रास जैनोना चोवीसमा तीर्थंकर महावीरना शिष्य श्रेणिकना समयमां थई गयेला सुरप्रिय नामना जैन संतनुं चरित्र आ काव्यमां छे. एनी रचना खंभातमां थयेली छे ने एनो रचनासमय वि. सं. 1567 ना आसो सुदि 6 ने रविवार छ : 'संवत पंनर सत(ड)सठइ आसो सुदि रविवार, रचिउं चरित्र सोहामणुं त्रंबावति मझारि.' आ रासमा 201 कडीओ छे. 11. विमलप्रबंध कविनी आ एक सुदीर्घ अने श्रेष्ठ कृति छे. एनी रचना पाटण पासे आवेला मालसमुद्रमा वि. सं. 1568 मां थई छे : 'संवत पंनर अठसठइ वड्डु रास विस्तार, ते प्रमाणि पूरं चडिउं मालसमुद्र मुझारि.' कविए एने 'रास' अने 'प्रबंध' एम बने नामे ओळखाव्यो छे. ए नव खंड अने एक चूलिकामां वहेंचायेलो छे. कविए गणाव्या मुजब एमां 1356 कडीओ छे ने मुख्यत्वे चोपाई तेमज दुहा, वस्तु, कवित छन्द अने जुदा जुदा ढाळोनो उपयोग करेलो छे. 13. "जैन गूर्जर कविओ'-भाग 1 आ काव्य हजु अप्रसिद्ध छे. 44. 'जन गूर्जर कविओ'- भाग 1. आ कृति हजु अप्रसिद्ध छे. 45. 'जैन गूर्जर कविओ'-भाग 1. ऐतिहासिक राससंग्रह'-भाग 1. आ रास हजु अप्रसिद्ध छे. 46. एन बे संपादन आपणे त्यां प्रकट थयां छे : (1) 'विमलप्रबंध' (सं. मणिलाल ब. व्यास) अने (2) 'विमलप्रबंधः एक अध्ययन (डा. धीरजलाल ध. शाह)
SR No.032757
Book TitleNemirangratnakar Chand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Jesalpura
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages122
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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