________________ लोककौशल्यपरिच्छेदः। [51 आदित्याः–इन्द्र विष्णु विवस्वान् मित्रु(त्र) अंशु धाता त्वष्टा पूषा वरुणु अर्यमा भृगु सविता 12 / अष्टषष्टिमहातीर्थानि-प्रभास-ॐकार-अमरेश्वर-विश्वेश्वर-महाकाल-कनखल-कुरुक्षेत्र-मरु-चण्डीश-भस्मगाऋप्रभृतीनि / द्वासप्ततिः कलाः-गीत वाद्य नृत्य गणित पठित 5 लिखित वक्तृत्व 5 कवित्व कथा वचन 10 नाटक व्याकरण छन्दोऽलङ्कार दर्शन 15 ध्यान धातुर्वा(वा)द धर्म अर्थ काम 20 वाद बुद्धि शौच [मन्त्र] विचार 25 नेपथ्य विलास नीति शकुन क्रीत 30 चित्र संयोग हस्तलाधव सूत्र कुसुम 35 इन्द्रजाल सूचिकर्म स्नेह पान आहार 40 [विहार] सौभाग्य प्रयोग गन्ध वास्तु 45 रत्न पात्र वैद्य देशभाषित देशविजय 50 वाणिज्य आयुध युद्ध समय वर्तन 55 हस्ति तुरग पुरुष नारी पक्षि 60 10 भूमि लेप काष्ठ सैन्य वृक्ष 65 छद्म हस्त उत्तर शरीर प्रत्युत्तर 70 शास्त्र[लक्षण] कलाश्चेति 72 / चतुरशीतिः कलाः, चतुरशीतिर्विज्ञानानि-हेतुविज्ञान तत्त्व मोहन कर्म धर्म 5 लक्ष्मी योग शङ्ख दन्त काल 10 गुटिका रसायन वचन कवित्व मन्त्र 15 यन्त्र तन्त्र मर्दन नेपथ्य खत्रकर्म २०इष्ट लेप सूत्र चित्रक रङ्ग 25 सूचिकर्म शकुनकर्म छद्म कर्मकर 15 राग 30 गन्धयुक्ति आगार शैल काच कांस्य 35 काष्ठ कुम्भ लोह पत्र वंश 40 नख देश तृण प्रासाद धातु 45 विभूषण स्वरोदय द्यूत अध्यात्म अग्नि 50 विद्वेषण उच्चाटन स्तम्भन मोहन वशीकरण 55 वस्तु स्वयंभू हस्ति अश्व पक्षि 60 स्त्री चक्र वस्त्र पाशुपाल्य कृषि 65 वाणिज्य लक्षण काल शस्त्रबन्ध युद्धकरण 70 वियुद्धकरण आखेटक कुतूहल कोशपुष्प 75 इन्द्रजाल पान अशन शयन विनोद 80 जन रत्न सौभाग्य शौच 30 84 इत्यादि / केषाञ्चिन्मते विनय नीति आयुध वाद व्यापार धारणि विज्ञानं चेति / चतुरशीतिर्देशाः- पूर्व०–] गौड कन्यकुब्ज कोल्लाक कलिङ्ग अङ्ग वङ्ग कुरङ्ग आचाल्य(आराढ्य) कामाक्षे, ओण्डै पुण्इँ उडीश(स) मालवे लोहित-[पाद]; पश्चिम०काछ(कच्छ) वालम्भ सौराष्ट्र कुङ्कण लाट श्रीमाल अर्बुद मेदपाट मरु वरेन्द्र यमुनीं गङ्गाती(पा)र अन्तर्वेदिमागधै; मध्य०- कुरु डाहल कामरूप काञ्ची" अवन्ती” 25 1-4. अमी देशा वस्तुतो मध्यदेशेषु वर्तन्ते / 5. अयं देशः पश्चिमदेशेषु गण्यते। 6. अस्य देशस्य गणना मध्यदेशेषु क्रियते / 7-11. अमी देशाः पूर्वदेशेषु वर्तन्ते / 'यमूना' स्थाने 'यामुन' इति प्रयुज्यते / 12. अयं देशो दक्षिणापथे स्थितः / 13. अस्य देशस्य पश्चिमदेशेषु गणना /