________________ . o0 हैमनिघण्टुशेषटीकान्तर्गतानो ग्रन्थान्तरावंतरणानामनुक्रमः। 143 प्रलोकादि पृष्ठम् . श्लोकादि पृष्ठम् व्रशाभं वंशकम् वृक्षाम्ल तिन्तिडीकं च [अमरटीका ] 14 [धन्व० 2-95 प० 89] 34 वंशो वेणुर्यवफलः वृद्धदारक आवेगी धन्व. 4-137 प० 161] . 91 (धन्व० 4-107 प० 155] 187 वातपित्तापहं ग्राहि वेतसो विदुलो नम्रो [धन्व० 1-287 प० 65] ___144 [चन्द्र० वार्षिकी त्रिपुटा व्यस्रा वैद्यमातृसिंह्यौ तु _[धन्व० 5-136 प० 197] अमर• का० 2 वर्ग 4 -103] 88 वालकं वारि तोयं च व्याधिः कुष्ठं पारिभव्यं धन्व. 1-47 प० 16] 127 __[अमर० का० 2 वर्ग 4-126] 127 वालं ह्रीबेर-बर्हिष्ठो बीहिर्यवो मसूरो __ [अमर० का 0 2 वर्ग 4-122] 127 ] 208 वासन्ती प्रहसन्ती च श्लोकादि पृष्ठम् [धन्व . 5-139 10 198] 137 वासिका सिंहकर्णी च शङ्खपुष्पी कम्बुपुष्पी [धन्व० 1-23 प० 11] 88 [धन्व० 4-113 प० 156] 140 यासो यवासकोऽनन्ता शटी षटी पलाशः स्यात् [धन्व० 1-22 50' 10] 22 50 10] 125 [धन्व०-१-६१ प० 18] 128 वास्तुकः क्षारपत्रः स्या शणपुष्पी बृहत्पुष्पी ] 188 [धन्व० १-२००प० 47] 148 प्रलोकादि शणः प्रोक्तो मातुलानी विकङ्कतः पृथुफलो ] 216 [धन्व० 5-43 प० 177] शणे तु किङ्कणी जाली विकसा कालमेषी च ] 149 शतकुन्तः श्वेतपुष्पः विज्ञेया पर्कटी प्लक्षः [धन्व० 4-1 पत्र. 134] 19 शतपुष्पा मिसि?षा शाश्वतः श्लो० 526] विडङ्गा जन्तुहन्त्री च धन्व० 2.1 प० 69] शतपुष्पा शतच्छत्रा धन्व. 2-11 प० 71] [अमर० का० 2 वर्ग 4-152] 182 विदारिका मता शुक्ला शतावरी शतपदी [धन्व० 1 147 प० 34] [धन्व० 1-291 प० 66] 162 विदारिगन्धांशुमती . शमी सक्तुफला तुङ्गा धन्व० 1-88 प० 23] 149 [धन्व० 5-95 प. 188] 42 विष्वकसेना गन्धफली शरो बाण इक्षुकाण्डः [अमर० का० 2 वर्ग 4 56] 105 . [धन्व० 4-135 10 161] 202