________________ पृष्ठम् 166 ] 215 हैमनिघण्टुशेषटीकान्तर्गतानां अन्थान्तरावतरणानामनुक्रमः / प्रलोकादि पृष्ठम् श्लोकादि पिच्छिल; शपितः शेलुः पृष्णिपर्णी पृथक्पर्णी [अमर० का० 2 वर्ग 4-92] 111 पिप्पलः केशवावास पृष्णिपर्णी पृथकपर्णी धन्व० 5-78 प० 184] 24 [धन्व० 1-90 प० 23] 111 -पिप्पली तण्डुलफला पृष्णिरल्पतनौ ___ इन्दु० ] 166 [अमर 8 का० 2 वर्ग 6-48] 110 पिप्पली मागधी कृष्णा प्रकीर्यः पूतिकरजः [धन्व० 2-73 प० 84] | [अमर० का० 2 वर्ग 4-48] 80 पियालोऽथ खरस्कन्ध प्रत्यक्पर्णी कीशपर्णी [धन्व 5-72 प. 183] [अमर० का० 2 वर्ग 4-89] 111 पीततण्डुलिका कङगुः प्रत्यक्श्रेणी सुतश्रेणी [अमर० का० 2 वर्ग 4-88 176 पीतः कुरण्ट को ज्ञेयो प्रत्येक यो भवेद् दोषो धन्व० 1-279 प० 63] 135 पीतो रक्तोऽथ नीलच प्रपौण्डरीकं चक्षुष्य [धन्व० 1-278 प० 63] धन्व० 3-92 प० 114] 155 पीलुपी कर्मकरी प्रसारणी सुप्रसरा 171 [धन्व० 1-289 प० 66] 185 पीलुः शीतफलः स्रंसी प्रायो जनाः सन्ति वनेचराद्याः धन्व० 5-51 50 178] [धन्व० 1-8 प०१) पुण्ड्रेक्षौ पुण्ड्रकः सेव्यः प्रियङ्गुः प्रियवल्ली च वाचस्पतिः ] [धन्व० 3-16 प० 95] 105 पुनर्नवाऽपरा क्रूरः प्रोक्ताऽन्या शङ्खधवला धन्व० 1-276 प० 63] 116 [धन्व० 5-149 प. 200] 131 पुनर्नवा तु शोफनी प्लक्षः कपीतनः शुङ्गी [अमर० का०२ वर्ग 4-149] 115 धन्व० 5-81 प० 185] 25 पुनर्नवा विशाखश्च धन्व० 1-274 प० 62] 115 पुन्नागे पुरुषस्तुङ्गः फलपूरो बीजपूरः [अमर० का० 2 वर्ग 4-25] 18 धन्व. 5-22 5. 173] पुष्पाण्डकः शीतभीरुः फलं स्वेतस्य पर्कटम् ] 209 [वाचस्पति ] 26 पुष्पोऽस्त्री फलानि तस्येन्द्रयवाः [वाचस्पतिः ] 12 [धन्व० 2-15 पत्र. 71] 12 पूतिकरञ्जः सुमनाः फलानि तस्येन्द्रयवाः