________________ W oc G 338 . . पञ्चम परिशिष्टम् / श्लोकादि पृष्ठम् प्रलोकादि नादेयो मेघपुष्पोऽन्य पथिका तुलसी पत्री [धन्व०५-११७ प०१९३] ] 153 नामशास्त्रे निघण्टुर्ना पद्मकं मलयश्चारुः वैजयन्ती नारङ्गस्त्वक्सुगन्धः स्या पद्मकेसरमापीतं .. [धन्व० 5 20 प० 172] [धन्व० 4-165 प०१६७] 180 नालिकेरो रसफलः पद्मबीजं तु गालोड्यं [धन्व० 5-74 प० 183] 1 [धन्व०४-१५९ प० 166] 181 निम्बोत्थः सर्वतोभद्रः पद्ममूलं तु शालूकं [धन्व० 4-163 प० 167] 180 निम्बो नियमनो नेता पद्मिनी स्यात् पुटकिनी धन्व० 1-29 50 13] [धन्व०४-१५७ प० 166] 176 निर्दिष्टा वै कण्टकिनी परिपेलं प्लवं वन्यं धन्व० 1-58 प०१८] [धन्व० 3-55 प० 107] 205 निःश्रेणिरधिरोहिण्यां [विश्वलोचने णान्तवर्गे 61] परूषकः परुः प्रोक्तो [धन्व० 5-62 प० 180] नीलपुप्पी महाश्वेता [धन्व० 4-85 प० 151] 168 / पर्पटः स्यात् पर्पटको नीलिनी नीलिका काली धन्व०१-४५ प०१६] [धन्व० 1-232 50 55] 138 / पलाण्डुर्यवनेष्टश्च नीली कोली क्लीतकिका [धन्व. 4-71 प०१४८] अमर० का० 2 वर्ग 4-94] 138 पलाशः किंशुकः [पर्णः] नीली दूर्वा स्मृता शस्या [चन्द्र ] 52 [धन्व. 4-153 प० 163] 203 पाटलोक्ता तु कुम्भीका नीवारश्चन्द्रिका बोडी [धन्व० 1-120 प० 29] ] 214 पाठाऽम्बष्ठाऽम्बष्ठकी च नूदस्तु यूपः क्रमुको [धन्व० 1-70 प० 20] - [अमर० का० 2 वर्ग 4 - 41] 90 पारावतांह्निः कटभी नेपाल: कथितश्चान्यो [अमर० का० 2 वर्ग 4-150] 116 [धन्व० 1-35 प० 14] 126 पारिभद्रे निम्बतरु - [अमर का - 2 वर्ग 4-26] 44 पङ्केरुहं तामरसं पालक्या वास्तुकाकारा ] 177 ] 189 पटोलः कुलकः प्रोक्तः पाषाणभेदकोऽश्मनः [धन्व०१-४९ प०१७] धन्व० 1-157 प० 36] 147