________________ [ हैनिघण्टुशेषटीकान्तर्गतानां ग्रन्थान्तरावतरणानामनुक्रमः। 331 प्रलोकादि पृष्ठम् प्रलोकादि पृष्ठम् अन्या दारुहरिद्राऽपि अर्काह्ववसुकास्फोटधन्व० 1-57 प० 18] 92 / [अमर. का. वर्ग 4-80] अन्या महासुगन्धा तु अर्कोऽर्कपणे स्फटिके [महेश्वर] [धन्व० 4-105 प० 155] 122 अन्याऽश्वत्थफला अर्थान् निघण्टयत्यस्माधन्व० 2-9 प० 70] 148 व्याडि ] अन्या स्कन्धफला स्वाद्वी [मदनपाल अलर्को धवलार्के स्यात् [विश्व० कतृतीये लो० 35] 3. अन्येन्द्रवारुणी प्रोक्ता अवल्गुजः सोमराजी __[धन्व० 1-250 50 58] 169 [अमर० का० 2 वर्ग 4-95] 121 अन्यो द्वितीयो विख्यात अव्यण्डा वृषभी गुप्ता ] 215 अपामार्गश्च शिखरी अशोकः शोकनाशश्च [धन्व० 1-260 50 60] 114 धन्व० 5-159 प० 203] 6 अपामार्गः शैखरिको अशोका रोहिणी तिक्ता [अमर० का०२ वर्ग 4-88] 114 [धन्व० 1-38 प० 15] 163 अप्रच्युतानुत्पन्नस्थिरै अश्मन्तक इन्द्रकस्तु धन्व० 1-194 प. 16] - 36. अमिलातोऽपरिम्लान अश्वखुरः श्वेतपुष्पी ] 135 [धन्व० 4-84 .प० 151] 168 अम्बुप्रसादनफलं अश्वगन्धा वाजिगन्धा [विश्वलोचन-रान्तवर्ग 189]] [धन्व० 1-272 प० 62] 106 अम्लभावाज्जयेद् वातं असुरी राजिका राजी [धन्व. 1-207 प० 49] [धन्च० 4-60 50 146] अम्लीका चुक्रिका चुका अस्य फले मातुल[धन्व० 5-33 ] ___ [अमर० का०२ वर्ग 4-78 अम्लोऽम्लवेतसो भीमो अहार्य बहुवीर्य च धन्व० 2-96 ] अरिमेदोऽरिमेधच आ धिन्व. 5-133 प० 197] आतोलनी योगवहा अरिष्टकस्तु मङ्गल्यः 76 अर्कः सूर्याह्वयः पुष्पी धन्व० 4-13 प० 136] अर्कः सूर्येऽर्कपर्णे च [विश्वलोचन-कद्वितीये लो० 5] 29 आम्रचूतो रसाल च धन्व० 5-1 50 169] आम्रातकः पीतनकः [धन्ब० 5-12 प० 171]