________________ द्वितीयं परिशिष्टम् / :: :: :: :: सुषवी " ब्राह्मी :: 292 शब्दः लिङ्गम् अर्थः श्लोकः शब्दः लिङ्गम् अर्थः श्लोकः - सुवहा स्त्री० राठ 219 सरीयक पुं० सैरेयक २४६टि० गंधनउली 221 सैरेयक वानउविशेष 246 धूलीक्यब सुवास सोमराजी बाबचो 218 सुवासन्ती स्त्री. अमीतउ ३८पा० सोमवल्क पुं० श्वेतखदिर 65 सुव्रत पुं० बूझ 289 कायफल 148 स्त्री. सुव्रता शढि 232 ब्राह्मी सोमवल्लरी स्त्री 343 कालउजीरउ 337 सोमवल्लिका , बाबची 218 ,, कारेली 359 सोमवल्ली गुडूची 318 सुषेणक पु.न. करमदा सौगन्धिक न० शुक्लशारद उत्पल 332 सुरवा स्त्री० सालरि 151 रोहीस जाइपल सौमनस सुस्वरा 237 त्रायमाण २२६पा० सुहृत् सौमनसायनी स्त्री० जाइकलिका 236 तुम्बुरु सूक्ष्मपत्र सौर आसद्र ,, १६०पा. सूक्ष्मपर्णा स्त्री. सौरभ पीठवनी 198 सूक्ष्मैला एलची सौरस स्त्री० . सौवीरी बोरि 71 सूचिपत्र पुं० षडकूतिर 355 सूची _स्त्री० स्कन्धजन्मन् पुं० सूतनाशनी मागकेसर स्कन्धभूषण ३१२पा० , गुंछ उ स्तम्ब हिङ्गु सूपधूपन 265 स्तम्बकरि धान्य सूरणकंद , 386 सूरण 344 तिलक अर्जुन स्त्रीनिरीक्षणदोहद पुं० १०३पा. स्त्रीपादाहतिद अशोक सूर्पपर्णिका मुदगवनी २११पा. स्त्रीपुष्प न. लवङ्ग ३६पा. सर्यपणिका " " स्त्रीप्रिय पुं० अशोक 3 सूर्यपर्णी स्त्री० माषवनी २१०पा. लवङ्ग . 365 स्त्रयाह्वय सूर्यपुत्र मयणहल 127 स्थलगण्डीर " 354 सूर्यसंज्ञ. भीलामा 135 स्थलपर्कट करमदा ५१पा. सेकिम मूला 357 स्थलपर्केट न. " ३५७टि. वरुणा 132 स्थलशृङ्गाट गोखरू 199 गूंदी सेलु 119 स्थापनी पाठ 294 सिल्हक १०७पा० सेलूक स्थायिनी २९४पा. अर्जुन 103 स्थाली पाटला स्त्री० वासंती 249 स्थालेय बृहन्मूलक ३५८पा. सेहुण्ड थोहरी ५०पा. स्थिरक शाक स्त्री. राडागारी 317 स्थिरसार 371 डाभ वज :: Pr सूर्पण न. स्त्री . " सेव्य सेव्या पुं० मेरी