________________ पौर पूतिफली प्रकीर्ण पूतीक " पूरणी दो 266 द्वितीयं परिशिष्टम् / प्रायः किम् अर्थः प्रलोकः शब्दः लिङ्गम् अर्थः श्लोकः पूतिपुष्प पुं० हिंगोट 74 पौण्डरीयक न. पद्म-स्थलपन 283 पूतिपुष्पा स्त्री० बीजपूरविशेष 555 पौण्डय पूतिपुष्पी रोहीस पूतिफल हिंगोटु पौरभूतीक ३६९पा. बाबची 218 पौलोमीद्रुम पुं० अशोक पूतिमयूर जहारि पौष्कर पुष्करमूल पूतिमारुत बीली करंज्यउ 144 करंजूयउ १४४पा प्रकीर्य " . १४४पा० न० रोहीस 369 प्रकीर्यक , करंजविशेष 14 गंधतृण 370 किरमाल 98 पूतीकरज पुं० करंजूयउ १४५पा. प्रचीबला स्त्री० कालउघाडउ 267 पूत्यरिभेद अरंजु 66 प्रचोदन पुं० धमासउ २२८पा. पूरक बीजउरउ 53 प्रतानिका स्त्री उत्पलशारिवा 313 स्त्री० सीमको प्रसारणी तिलक पृतमा ८१टी. प्रतापस पुं० आकुमंदारु पृथक्त्वच पील उनी 316 प्रतिविषा स्त्री० अतिविसु पृथक्पणी पीठवनी 198 प्रतिहास पुं० श्वेतकणयर पृथिवीपति पुं ऋषभु 173 प्रतोदनी स्त्री० धमासउ 228 हिंगुउत्री प्रत्यक्पुष्पी , आझाझाडा 205 काल उजीरउ 337 प्रत्यक्श्रेणी उंदिरकनी 326 पीठबनी १३८पा० प्रथनपुं० पृथुपलाशिका, 232 प्रपुण्डरीक न० पद्म-स्थलपन 283 पृथुपलासिका ,, पमाड , प्रपुनाट २३२पा, पुं० प्रपुन्नाट २१४पा० पृथकलाशिका , प्रपौण्डरीक न. पद्म-स्थलपद्म 284 हिंगुउत्री 266 प्रमोदनी स्त्री० केवडी 242 काल उजीरउ 337 प्रमोदिनी २४२पा. कंकोलीएला , 33 प्रलोभिन्। पुं० किङ्किरात पृश्निपर्णी पीठवनी १९८पा० प्रलोलिन् , २४७पा. पृष्ठगा फंगाशाक अगर 21 पुष्णिपर्णी पीठवनी 198 प्रवर पुं० कृष्णमुंग 391 पेशी , छड 280 प्रवाल वथुआ पोटगक कासु 372 प्रवालफलघोषिका स्त्री० गोल्ह, टिडरी 360 नलु प्रवेल पुं० पीतमुंग स्त्री० पृथुकी मुंग शढि 214 __ स्त्री प्रवर 348 375