________________ ( 47 ) उसका नाम तार्की रखा गया। सयानी होने पर मन्दपाल के पुत्र द्रोण के साथ उसका विवाह हुआ / उसी से महाभारत की युद्धभूमि में बड़े विचित्र ढंग से चार पक्षियों का जन्म हुआ और वे शमीक ऋषि के आश्रम में पालित हुए / इस अध्याय के निम्नांकित श्लोक संग्राह्य हैं / साधारणोऽयं शैलेन्द्रो यथा तव तथा मम / / अन्येषां चैव जन्तूनां ममता भवतोऽत्र का ? यह शैल सार्वजनिक है, यह जैसे तेरा है वैसे ही मेरा तथा अन्य जन्तुओं का भी है, फिर इस पर तुझे यह ममता क्यों ? नश्यतो युध्यतो वाऽपि तावद्भवति जीवनम् / यावद्धाताऽसृजत्पूर्व न यावन्मनसेप्सितम् // 50 // युद्ध से भागने वाले तया युद्ध में लड़ने वाले दोनों का जीवन उतना ही होता है जितना विधाता द्वारा पहले से स्थिर किया रहता है / किसी का भी जीवन उसकी इच्छा के अनुसार नहीं होता। काण्डानां पतनं विप्राः? क घण्टापतनं समम् 1 . क च मांसवसारक्तैभूमेरास्तरणक्रिया ? // 58 / / केऽप्येते सर्वथा विप्राः ! नैते सामान्यपक्षिणः। दैवानुकूलता लोके महाभाग्यप्रदर्शिनी / / 5 / / द्विजाः! किंवाऽतियत्नेन मार्यन्ते कर्मभिः स्वकैः / रक्ष्यन्ते चाखिल जीवा यथैते पक्षिबालकाः // 62 // तथाऽपि यत्नः कर्तव्यो नरैः सर्वेषु कर्मसु / कुर्वन् पुरुषकारन्तु वाच्यतां याति नो सताम् // 6 / / विप्रो ! अण्डों का गिरना, घण्टा का टूटना, मांस, मेदा और रक्त से पृथ्वी का अाच्छादित होना-इन सब बातों का एक साथ होना एक आश्चर्यमय घटना है // 58 / / विप्रो ! निश्चय ही ये कोई विशेष जीव हैं, ये साधारण पक्षी नहीं हैं। क्योंकि लोक में दैव की विशेष अनुकूलता महानुभावता का सूचक होती है // 56 // ब्राह्मणो ! बहुत प्रयत्न करना अनावश्यक है। समस्त जीव अपने कर्मों से ही मरते और जीते हैं / इस बात में ये पक्षि-शावक ही निदर्शन हैं // 62 // फिर भी मनुष्य को सारे कार्य प्रयत्नपूर्वक करने चाहिए / पौरुष करने वाला मनुष्य यदि कदाचित् असफल भी हो जाय तो भले लोग उसकी निन्दा नहीं करते // 6 //