________________ ( 106 ) धिकारियों से स्नेह करता है। इसकी सम्पत्ति वंशानुगामिनी नहीं होती / इसे चोर, डाकू तथा युद्ध से हानि उठानी पड़ती है। कच्छप-यह भी तामस निधि है और तमोगुणी को प्राप्त होती है। इस निधि से युक्त मनुष्य तामसो-प्रकृति का होता हुअा भी पुण्यवान् लोगों से व्यवहार करना पसन्द करता है / यह किसी का विश्वास नहीं करता, कृपण स्वभाव का होता है, सम्पत्ति को छिपा कर रखने में इसे अानन्द मिलता है। मुकुन्द-यह राजस निधि है, इससे युक्त मनुष्य रजोगुणी होता है। विविध वाद्यों के संग्रह में उसकी रुचि होती है। नर्तक, गायक, नट, भट, आदि का वह सम्मान करता है / स्त्रियों और स्त्रीलम्पटों से उसकी प्रीति होती है | नन्दक, वा नन्द-यह राजस और तामस निधि है। इससे युक्त मनुष्य धातु, रत्न और उत्तम अन्नों का संग्रह और व्यवसाय करता है। यह स्वजनों और अतिथियों का आदर करता है / इसकी सम्पत्ति सात पीढ़ी तक चलती है। यह स्वयं रसिक और रसिक जनों का प्रेमी होता है। उसका स्नेह समीपस्थों से कम और दूरस्थों से अधिक होता है | नील-यह भी राजस और तामस निधि है अतः उसी प्रकृति के मनुष्यों को प्राप्त होती है / इससे युक्त मनुष्य वस्त्र, कपास, अन्न, फल, फूल, मोती, मूंगा; शंख, शुक्ति और लकड़ी अादि का व्यवसाय करता है। तालाब, बावली, बाग और पुल आदि बनवाने में उसकी विशेष रुचि होती है। उसकी सम्पत्ति तीन पीढ़ी तक रहती है। शङ्ख-यह भी राजस और तामस निधि है, इस निधि से युक्त मनुष्य बड़ा स्वार्थी होता है / वह परिवार पर भी अपना अर्जित धन व्यय करने में संकोच करता है, अपना व्यक्तिगत खाना, पहिनना ही उसे अच्छा लगता है। उनहत्तरवाँ अध्याय - इस अध्याय से श्रौत्तम नामक तीसरे मन्वन्तर के वर्णन का उपक्रम किया गया है | राजा उत्तानपाद को उत्तम नाम का एक पुत्र था / उसका विवाह बभ्र की कन्या बहुला से हुआ था। उत्तम उससे बहुत प्रेम करता था पर वह उससे उदास रहा करती थी। एक दिन एक समारोह में उत्तम उसे सुरा देने लगा, उसने उसे अस्वीकार कर दिया। इससे उत्तम ने अपना अपमान मान उसे किंकरों द्वारा जंगल भेज दिया। कुछ समय बाद एक दिन एक ब्राह्मण उसके पास आया और कहा कि मेरी भार्या की चोरी हो गई है, तुम किसी प्रकार मेरे लिए उसे सुलभ करो। क्योंकि