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________________ (68 ) प्रकार जब जीविका की एक व्यवस्थित प्रणाली का विकास हो गया तब ब्रह्मा जी ने गुण-कर्म के अनुसार मनुष्यों को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र इन चार वर्षों में और व्यक्ति के जीवन को ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्य, वानप्रस्थ, और संन्यास इन चार भागों-अाश्रमों में विभक्त कर वर्णाश्रमधर्म की मर्यादा बांधी और वर्णाश्रमधर्म का पालन करने वालों के लिये उचित पुरस्कार की व्यवस्था भी की। जैसे अपने अपने धर्म को पालन करनेवाले ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को क्रम से ब्रह्मलोक, देवलोक, मरुत्-लोक और गन्धर्व लोक की प्राप्ति एवं ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्य, वानप्रस्थ और संन्यास का कर्तव्य पालन करने वाले लोगों को क्रम से ऊर्ध्वरेता महर्षियों का लोक, सप्तर्षिलोक, प्राजापत्य लोक तथा अमृतत्व-ब्रह्मपद की प्राप्ति / पचासवाँ अध्याय . ___ इस अध्याय में बताया गया है कि ब्रह्मा जी के सनन्दन अादि पुत्र जन्म से ही वीतराग हो गये, अतः उन से सृष्टि के सम्बन्ध में कोई सहायता न मिली, तब उन्होंने अपने मन से भृगु पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, अङ्गिरा, मरीचि, दक्ष, अत्रि, और वसिष्ठ नाम के नव पुत्र और पैदा किये। उन्हीं के समान सामर्थ्यशाली होने से ये पुत्र भी ब्रह्मा कहलाये / इन के अतिरिक्त अपने समान ही प्रभावशाली एक और पुत्र उन्होंने पैदा किया जो स्वायम्भुव मनु नाम से ख्यात हुा / इस पुत्र ने परम तपस्विनी एवं पतिव्रता शतरूपा से विवाह किया / इन दोनों के सम्पर्क से प्रियव्रत और उत्तानपाद नाम के दो पुत्र तथा आकूति, और प्रसूति नाम की दो कन्यायें पैदा हुई। ये दोनों क्रम से दक्ष और रुचि नामक प्रजापतियों से विवाहित हुई। रुचि और आकूति से यज्ञ नामके पुत्र और दक्षिणा नाम की कन्या का जन्म हुआ / यज्ञ के याम नाम से विख्यात बारह पुत्र हुये और वही स्वायम्भुव मन्वन्तर के देवता हुये / दक्ष और प्रसूति से चौबीस कन्यायें उत्पन्न हुई जिनमें पहले की तेरह कन्यायें श्रद्धा, लक्ष्मी, धृति, तुष्टि, पुष्टि, मेधा, क्रिया, बुद्धि, लज्जा, वपु, शान्ति, सिद्धि, और कीर्ति धर्म से विवाहित हुई और बाद की ग्यारह कन्यायें, ख्याति, सती, सम्भूति, स्मृति, प्रीति, क्षमा, संनति, ऊर्जा, अनसूया, स्वाहा, और स्वधा क्रम से भृगु, महादेव, मरीचि, अङ्गिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, वसिष्ठ, अत्रि, अग्नि और पितरों से विवाहित हुई। धर्म की पत्नी श्रद्धा से काम उत्पन्न हुआ और उसने रति नाम की अपनी पत्नी से हर्ष नाम का पुत्र पैदा किया / धर्म की
SR No.032744
Book TitleMarkandeya Puran Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadrinath Shukla
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1962
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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