________________ ( 72 ) माबुबा राठोड़ों के अधिकार में आया तब वि० सं० 1575 में वहां राठोड़ों का राज कैसे हुआ होगा ? दूसरा जिनभद्रसूरि भी उस समय विद्यमान हो नहीं थे कारण उनके देहान्त वि० सं० 1554 में होचुका था झावक लोग इस वीसवीं शताब्दी में इतने अज्ञात शायद् ही रहे हों कि इस प्रकार की गप्पों पर विश्वास कर सकें। भंवाल के झामड विक्रम की पन्द्रहवीं शताब्दी में अन्य प्रदेश से आकर भंबाल में वास किया बहां से क्रमशः आज पर्यन्त की हिस्ट्री उन्हों के पास विद्यमान हैं अतएव खरतरों का लिखना सरासर गप्प है। ___7 बाठिया-वि० सं० 912 में आचार्य भावदेवसूरि ने बाबू के पास प्रमा स्थान के राव माघुदेव को प्रतिबोध कर जैन बनाया उन्होंने श्री सिद्धाचल का संघ निकाला बांठ 2 पर आदमी और उन सब को पैरामणि देने से बांठिया कहलाये बाद वि० सं० 1340 रत्नाशाह से कवाड़ वि० सं० 1631 हरखाजी से शाहहरखावत हुए इत्यादि इस जाति की उत्पत्ति एवं खुशीनाम शुरू से श्रीमान् धनरूपमलजी शाह अजमेर वालों के तथा कल्याणमलजी वाठिया नागौर वालों के पास मौजूद है। "ख०-यति रामलालजी महा० मुक्ता० पृष्ठ 22 पर लिखते हैं कि वि० सं० 1167 में जिनवल्लभसरि ने रणथंभोर के पँवार राजा जालसिंह को उपदेश दे जैन बनाया मूल गच्छ खरतर-विशेषता यह है कि वाठिया ब्रह्मच शाह हरखावत वगैरह सब शाखाए लालसिंह के पुत्रों सेहो निकली बतलाते हैं।" . . कसौटी–कहाँ तो वि० सं० 912 का समय और कहाँ 1167 का समय / कवाड़ शाखा का समय 1340 का है तथा