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________________ ( 21 ) राजपूतों से मूल गौत्र.. शाखाओं आचार्य समय ms and | सख्या कर्णावट , तातेड़. गौत्र | तोडियाणिआदि 22 बाफणा , नाहाटादि 53 आच्छादि 14 बलाहा , रांकावांकादि 26 मोरख पोकराणादि 17 कुलहट , सुरवादि 18 विरहट , भुरंटादि 17 श्रीश्रीमाल" नीलडियादि 22 |श्रेष्टि " वैदमुचादि 30 संचेति " ढेलडियादि 44 आदित्यनाग” चोरडियादि 85 भूरि " भटेवरादि 20 समदडियादि 29 | चिंचट देसरडादि 19 काजलीयादि 20 डिडू " कोचरादि 21 कन्नोजिया" वटवटादि 19 वर्धमानादि 16 पार्श्वनाथ भगवानके छटे पाटधर रत्नप्रभसूरि वीर निर्वाणके बाद 70 वर्ष विक्रम संवत् से 400 वर्ष पहेला जिसको / आज 2394 वर्ष हुवा है। - नगर उपकेश पट्टन ( वर्तमान में उसे ओशीयों कहते हैं) कुलदेवी सचायिका :::: भद्र " कुंमट लघुश्रेष्टि " गौत्र | चरड सुघड , कांकरीयादि 9 संडासियादि 7 चेडालियादि 4 टीबाणीयादि 4 5 | गटिया ,
SR No.032743
Book TitlePrachin Jain Itihas Sangraha Part 12 Jain Jatiyo ke Gacchho ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala
Publication Year1938
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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