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________________ ( 9 ) 108 उपकेशगंसे भोरेगोत्रे 1025 उए ज्ञा० कोठारीगोत्रे 129 उकेशश्वसे बरडागोत्रे 1093 उ० ज्ञा० गुदेचा गोत्रे 130 | उपकेशज्ञातौ वृद्धसजनिया 1107 उपकेशज्ञाति डांगरेचागोत्रे 400 | उपकेशगच्छे तातेहडगोत्रे 1210 उ० सीसोदिया गोत्रे उपकेशनसे नाहटागोत्रे 1255 उपकेशज्ञातिसाधुसाखायां उकेशनंसे जांगडा गोत्रे 1256 उपकेश ज्ञातौ श्रेष्टिगोत्रे 488 उकेश से श्रेष्ठिगोत्रे 1276 उ.ज्ञा.श्रष्टिगोत्रेद्यसाखायां 1278 उकेश ज्ञा० गहलाडा गोत्रे 1384 उ०वंसे भूरिगोत्रे (भटेवरा) 1280 उपकेशज्ञातौ दूगडगोत्रे 1353 उपकेशज्ञातौ बोडियागोत्रे 1285 उएसगंसे चंडालियागोत्रे | उ० ज्ञा० फुलपगर गोत्रे उपकेशांसे कारियागोत्रे 1389 उपकेशज्ञाति-बापणागोत्रे 3292 उपकेशज्ञातियआर्य'गोवेलुगा 1413 उकेशसे भणशलीगोत्रे वत साखायां 1435 उएसांसे सुचिन्ती गोत्रे 1303 उकेशगंसे सुराणागोत्रे 1494 उपकेश सुचंति उपकेशवंसे मालगोत्रे 1531 उ.ज्ञातौ बलहागोत्र रांकासा 3335, उपकेशगसे दोसांगोत्रे 1621 उपकेशज्ञातौ सोनी गोत्रे 1386 इत्यादि सैकडों नहीं पर हजारों शिलालेख मिल सकते हैं पर यहां पर तो यह नमूना मात्र बतलाया है। . . इन मन्दिर मतियों की प्रतिष्ठा करने वाले किसी एक गच्छ के ही नहीं पर भिन्न भिन्न गच्छों के आचार्य थे। और इन जैन जातियों के प्रतिबोधक भी एक ही आचार्य नहीं थे / परन्तु उन सबके सब आचार्यों ने ओसवाल जाति के तमाम गोत्र और जातियों के साथ उपकेशवंश का उल्लेख कर यह साबित कर दिया है कि उपकेश
SR No.032743
Book TitlePrachin Jain Itihas Sangraha Part 12 Jain Jatiyo ke Gacchho ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala
Publication Year1938
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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