________________ पापस्य // 4 // सकषायाकषाययोः साम्परायिकापथयोः // 5 // अव्रत- कषाये-न्द्रिय-क्रियाः पञ्च. तीव्रमन्दज्ञाताज्ञातभात्रवीर्याधिकरणविशेषेभ्यस्तद्विशेषः // 7 // अधिकरणं जीवाजीवाः // 8 // आधं संरम्भसमारम्भारम्भयोगकृतकारितानुमतकषायविशेपैत्रिनिस्त्रिश्चतुश्चैकशः // 1 // निर्वर्तनानिक्षेप तत्प्रदोषनिह्नवमात्सर्यान्तरायासादनोपघाता ज्ञानदर्शनावरणयोः // 11 // दःखशोकतापाक्रन्दनवधपरिदेवनान्यात्मपरोभयस्थान्यसद्वेद्यस्य // 12 // भूतव्रत्यनुकम्पा दानं सरागसंयमादि योगः शान्तिः शौचमिति सद्वेद्यस्य // 13 // केवलिश्रुतसङ्घधर्म तीव्रात्मपरिणामश्चारित्रमोहस्य // 15 // बह्वारम्भपरिग्रहत्वं च नारवस्यायुषः // 16 // माया तैयग्योनस्य / / 17 / / अल्पारम्भपरिग्रहत्वं स्वभावमार्दवार्जवं च मानुषस्य // 18 // निःशीलनतत्वं