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________________ महावीर की साधना का रहस्य शरीर की स्थिति क्या है, यह मैं स्पष्ट कर दूं। आत्मा, सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर—ये तीन वस्तुएं हैं । स्थूल शरीर वह है जिसमें सब कुछ . प्रकट होने की क्षमता है। सूक्ष्म शरीर वह है जिसमें क्षमताओं का संग्रह है। आत्मा मूल शक्ति का स्रोत है । सूक्ष्म शरीर आत्मा पर आवरण डालता है, आत्मा की शक्तियों को रोकना चाहता है और रोकता भी है। यदि सूक्ष्म शरीर नहीं होता तो आत्मा की सारी शक्तियां अपने आप ही प्रकट हो जाती। किसी माध्यम से प्रकट करने की जरूरत नहीं होती। आज हमारा चैतन्य जो प्रकट हो रहा है, माध्यम से प्रकट हो रहा है । आंख माध्यम है चैतन्य की रश्मि के प्रकट होने का। आंख का गोला ठीक है, हम देख सकते हैं। आंख का गोला ठीक नहीं है, हम देख नहीं सकते । कान का पर्दा ठीक है, हम सुन सकते हैं । कान का पर्दा ठीक नहीं है, हम सुन नहीं सकते। हमारी चैतन्य की रश्मि जो कि देख सकती है, वह आंख के माध्यम से देख सकती है, आंख के बिना नहीं देख सकती है, चैतन्य की एक रश्मि जो सुन सकती है, शब्द को ग्रहण कर सकती है, कान का माध्यम ठीक है तो सुन सकती है । कान का माध्यम प्राप्त नहीं है तो नहीं सुन सकती। तो हमारी चेतना का बाह्य जगत् से सम्पर्क, हमारी चेतना की बाह्य जगत् में अभिव्यक्ति जो होती है, वह स्थूल शरीर के माध्यम से होती है। सूक्ष्म शरीर इन शक्तियों का संप्रेषण करता है । सूक्ष्म शरीर का नाम है-कर्म शरीर । हमारी जितनी स्थूलताएं प्रकट होती हैं, उन सबका कारण है, यह सूक्ष्म शरीर । सूक्ष्म शरीर बीज है । उसके बोने पर ही स्थूल शरीर प्रकट होता है । और सूक्ष्म शरीर जैसा होता है, उसी का प्रतिबिम्ब होता है स्थूल शरीर। ___ हमारे चैतन्य की तीन मुख्य क्रियाएं हैं-जान, शक्ति और आनन्द । ज्ञान चेतना का आलोक है, आनन्द उसकी अनुभूति है और शक्ति उसकी मक्तता है । सूक्ष्म शरीर इन तीनों पर आवरण या अवरोध उत्पन्न करता है। वह आत्मा की जो अनन्त चेतना है, उसे आवृत करता है। आत्मा का जो सहज आनन्द है, उस पर ढक्कन डालता है । आत्मा की जो सहज शक्ति है, उसमें अवरोध उत्पन्न करता है । शक्ति में अवरोध उत्पन्न करना, आनन्द पर ढक्कन डालना और चेतना को आच्छादित करना-ये तीनों सूक्ष्म शरीर के कार्य हैं । और वह इन्हें अच्छी तरह से करता है। किंतु जब आत्मा जागृत हो जाती है, प्रबल हो जाती है तो वह इस बात को सहन नहीं करती और
SR No.032716
Book TitleMahavir Ki Sadhna ka Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya, Dulahrajmuni
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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