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शरीर का मूल्यांकन
एक पिता ने अपने पुत्रों की परीक्षा करनी चाही। दो पुत्र थे। दोनों को आमन्त्रि । कर कहा-"लो, दो रुपये मैं तुम्हें देता हूं। ऐसी कोई चीज लाओ जिससे समूचा घर भर जाए।" दोनों गए। दोनों ने सोचा-"ऐसी क्या चीज लाएं जिससे समूचा घर भर जाए ? आखिर रुपये दो ही हैं। बहुत नहीं हैं । ज्यादा होते तो रुपयों से भी घर भर देते । पर रुपए दो हैं और दो से समूचा घर भरा जाए, ऐसी क्या चीज हो सकती है ?' अपनीअपनी बुद्धि और अपना-अपना विचार । दोनों सगे भाई थे। भाई होना एक बात है । किन्तु अपनी क्षमता होना दूसरी बात है । एक ने सोचा-'दो रुपये में और क्या आ सकता है, घास काफी आ सकती है। घास ले आऊ और समूचे घर को भर दूं।' उसने वैसा ही किया। दो रुपये की घास खरीद लाया और समूचे घर को भर दिया। पिता ने आकर देखा, सारा घर घास से भरा हुआ है। उसने कहा-"अरे ! यह क्या ? सारा घर गंदा कर दिया ?" लड़के ने कहा, "आपके आदेश का पालन किया है। आपने दो रुपये में सारा घर भरने का आदेश दिया था और मैंने वैसा ही कर दिया है।" पिता ने कहा-“ठीक है।" दूसरे लड़के से पूछा-"तूने क्या किया ?" उसने कहा-“मैंने भी आपके आदेश का पालन कर दिया।" पिता ने पूछा- "कैसे ?" लड़के ने कहा- "अभी नहीं, रात में बताऊंगा।"
रात आ गयी । अन्धेरा घना हो गया। लड़के ने सारे आंगन में दीप जला दिए । घर प्रकाश से भर गया । उसने कहा--"पिताजी ! मैंने सारा घर भर दिया है ।" पिता ने पूछा-"किससे भरा ?" उसने कहा-"प्रकाश से ।"
घर घास से भी भरा जा सकता है और प्रकाश से भी भरा जा सकता है । घास से घर भरने का मतलब है कूड़ा-कर्कट बढ़ाना, पैरों में चुभन पैदा करना । उसे फिर साफ करना होता है । जिसने प्रकाश से घर भरा, उसने सचमुच घर भर दिया और जो आदमी प्रकाश से घर भरता है वह सचमुच