________________
जागरिका
का चक्र है, मन का कमल है या मन की ग्रन्थि है, उसकी कणिका में जाकर अपनी सारी चेतनाओं को समेटकर, हमारी चिंतन की रश्मियां, हमारी परिणाम-धारा और हमारी भावधारा जो सारे शरीर में प्रवाहित होती है, उसे संकुचित कर, समेटकर, जब तक मनःचक्र की कणिका पर केन्द्रित नहीं कर देते हैं, तब तक उस ग्रंथि का भेदन नहीं होता है । और उस ग्रंथि का भेदन हुए बिना जागृति, सम्यकदर्शन या सम्यक्त्व प्राप्त नहीं हो सकता। यह उसकी प्रक्रिया है।
(अपनी धारणा के द्वारा प्राणशक्ति को मनःचक्र में केन्द्रित करना और वहां से केन्द्रित कर फिर प्राणायाम करना-रेचक, पूरक और कुंभक करना—यह है जागृति की प्रक्रिया)। ऐसा करने पर--मन:चक्र पर ध्यान करने पर रेचक ध्यान, पूरक ध्यान और कुंभक ध्यान-ये विविध ध्यान वहां करने पर मन की ग्रन्थि धीमे-धीमे खुलने लग जाती है । उसकी उलझन समाप्त हो जाती है । और एक दिन ऐसा आता है, कि वह ग्रंथि खुल जाती है । ग्रन्थिमोक्ष हो जाता है । और उस ग्रंथि का जैसे ही मोक्ष हुआ, जागरण का क्षण प्रकट हो जाता है । जागृति हमारी प्रकट होने लग जाती है, और हमारी दृष्टि सम्यक् बन जाती है । हमें स्पष्ट लगने लग जाता है कि स्थूल शरीर ही सब कुछ नहीं है। स्थूल शरीर से भी बड़ी एक शक्ति है—वह है सूक्ष्म शरीर । हमें सूक्ष्म शरीर की शक्ति का बोध हो जाता है। ____आज तक तो हम स्थूल शरीर की शक्ति को ही शक्ति मानकर चल रहे हैं । किन्तु स्थूल शरीर की शक्ति सूक्ष्म शरीर की शक्ति के सामने सौवां हिस्सा भी नहीं है, हजारवां हिस्सा भी नहीं है । बहुत थोड़ी शक्ति है । हमारी सारी शक्ति सूक्ष्म शरीर में केन्द्रित है । हमें सूक्ष्म शरीर की शक्ति का भी बोध हो जाएगा । उसमें हमें चैतन्य की स्वतन्त्र सत्ता का बोध हो जाएगा । चैतन्य की स्वतंत्र सत्ता है । इस स्थूल शरीर से और इस सूक्ष्म शरीर से भी चैतन्य की स्वतंत्र सत्ता है, ये दोनों बातें हमें स्पष्ट हो जाएंगी।
तीसरी बात यह है कि चैतन्य की स्वतंत्र सत्ता का विकास किया जा सकता है, उसका बोध भी हमें हो जाएगा और स्वतन्त्र सत्ता के विकास करने की प्रक्रिया का भी हमें बोध हो जाएगा। इस प्रकार सम्यक्दर्शन के द्वारा, मनःचक्र पर रही हुई ग्रंथि के भेदन के द्वारा हम इन सारी स्थितियों को स्पष्ट समझ लेंगे । आत्मा और शरीर का भेदज्ञान, हमारी शक्तियों का बोध, हमारे अस्तित्व का बोध, हमारे अन्तर्जगत् की क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं का