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________________ चारित्र समाधि २५६ साथ अभय का होना बहुत जरूरी है। कोई भयभीत भी है और साधक भी है-यह समझ में आने वाली बात नहीं है। भय भी है और साधना भी है, यह कभी नहीं हो सकता। जहां साधना है वहां सबसे पहले अभय प्रकट होगा। भय अनेक प्रकार का है। उसमें दो मुख्य हैं-पूजा-प्रतिष्ठा की कमी का भय और मौत का भय । जब ये दोनों भय मिट जाते हैं तो दुनिया में कोई भय है ही नहीं । आदमी जीवन की आशंसा से सोचता है-कल क्या होगा? जीवन कैसे चलेगा ? बुढ़ापे में क्या होगा ? सारी की सारी जीवनैषण के साथ भय का यह ताना-बाना बुना रहता है । जब पूजा-प्रतिष्ठा की कमी का भय सताता है तब व्यक्ति सोचता है—यह होगा तो लोग क्या कहेंगे ? आज इतना सम्मानित हूं, कल क्या होगा ? कुछ साधु भी इससे अछूते नहीं हैं । वे भी सोचते हैं-यह सचाई तो है, किन्तु यदि हम ऐसा करने लगेंगे तो लोग हमें मानना छोड़ देंगे । भय छा जाता है। वे सत्य को भी दबाने का प्रयत्न करते हैं । यह सत्य की साधना नहीं हो सकती, संयम और चारित्र की साधना नहीं हो सकती। उसके लिए अभय होना जरूरी है । अभय आएगा तब समता का विकास होगा। सामायिक आता है तब जीवन में चारित्र की पहली किरण फूट पड़ती है। समता के बाद आता है संयम-निग्रह की शक्ति का प्रादुर्भाव । सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह-ये सारी बातें समता के बाद प्रकट होती हैं । संयम के बाद जो अगला चरण है, वह है सम्यक्-चर्या का । पांच महाव्रत और पांच समितियां अर्थात् संयम और सम्यक्-चर्या । इससे अगला चरण है-ध्यान । यह छठा अंग है । ध्यान भी चरित्र का अनिवार्य अंग है । वह तीन गुप्तियों में वर्णित है-मन की गुप्ति, वचन की गुप्ति और काया की गुप्ति । सातवां अंग है-अप्रमाद । चारित्र के ये सात अंग हैं--अनाशंसा, अभय, समता, संयम, सम्यक्चर्या, ध्यान और अप्रमाद । जो इन सात अंगों की सम्यक् उपासना करता है, वह चारित्र की सम्यक् उपासना करता है । ___ भगवान् महावीर ने एक प्रसंग में अपना आत्म-विश्लेषण करते हुए कहा-'जहेत्थ मए सन्धि झोसिए, एवमन्नत्थ दुज्झोसिए'- मैंने जिस पराक्रम के साथ इस संधि को खपाया है, ऐसा अन्यत्र दुर्लभ है । मैंने जिस परा
SR No.032716
Book TitleMahavir Ki Sadhna ka Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya, Dulahrajmuni
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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