SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 197
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८४ महावीर की साधना का रहस्य यह हमारे दो दृष्टिकोण हैं । जब हम खण्ड-खण्ड को देखते हैं तब हमें दिखाई देता है-यह ज्ञान है, यह दर्शन है, यह चरित्र है । आत्मा की अनेक अवस्थाएं दिखाई देती हैं । किन्तु जब हम उन सारी अवस्थाओं को छोड़कर · देखते हैं, तब हमें केवल चैतन्य ही दिखाई देता है और कुछ भी दिखाई नहीं देता । यह चैतन्य को देखने की जो स्थिति है, वह वास्तव में आत्मदर्शन या आत्म-साक्षात्कार की भूमिका है। इस भूमिका में आ जाने पर ही आत्मा की एकता और अमरता की अनुभूति होती है। ___ जार्ज बर्नार्ड शा बहुत बड़े उपन्यासकार हुए हैं। हमारी शताब्दी में हुए हैं और कुछ ही वर्षों पूर्व उनका देहावसान हुआ है । वे बहुत बड़े साहित्यकार थे, बहुत बड़े विचारक थे। एक दिन वे कार में बैठकर कहीं जा रहे थे। ड्राइवर साथ में था किन्तु वे स्वयं कार चला रहे थे। उनका दिमाग और कहीं दौड़ रहा था। कार चलाते-चलाते एक प्लाट पर ध्यान गया, उपन्यास की कल्पना में लगे, पात्रों का चयन शुरू कर दिया और उसके साथ-साथ पात्रों का हावभाव भी शुरू कर दिया, संवाद चलने लगा तो स्टियरिंग पर नियंत्रण जाता रहा । ड्राइवर ने देखा, यह क्या हो रहा है ? वह तत्काल आगे बढ़ा और स्टेयरिंग को संभाल लिया। ड्राइवर के द्वारा स्टियरिंग पकड़ते ही जार्ज ने कहा, 'क्या बेवकूफी करते हो ?' ड्राइवर ने कहा-'महाशय ! मैं बेवकूफी नहीं कर रहा हूं।' 'बेवकूफी नहीं तो और क्या कर रहे हो ? मैं क्या सोच रहा था, किस प्रकार पात्रों का संवाद चल रहा था और तुमने उसमें विघ्न डाल दिया । तुम नहीं जानते कि यह हमारा ड्रामा कितना महत्त्वपूर्ण होगा, कितना अमर होगा ?' ड्राइवर ने कहा-'महाशय ! मैं मानता हूं कि आपका यह ड्रामा बहुत अमर होगा, किन्तु मैं नहीं चाहता कि वह अमर बने कि उससे पहले आप अमर हो जाएं।' ___मन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है। जो मन कार चलाने में था, वह कहां तक पहुंचा । हमारे मन में हजारों-हजारों अवस्थाएं प्रति घंटा घटित होती हैं । एक घंटा में साठ मिनट होते हैं और इन साठ मिनटों में शायद सैकड़ों घटनाएं घटित हो जाती हैं । बहुत कम लोग ऐसे होंगे जिनके मन में हजारों घटनाएं न घटित होती हों। यथार्थ के जगत् में कितनी घटनाएं घटित होती हैं, मैं नहीं कह सकता किन्तु मानसिक जगत् में हजारों घटनाएं घटित होती हैं । भोजन करने में दस-बीस मिनट लगते होंगे, किन्तु इतने ही समय यदि आप लेखा-जोखा करें तो पता चलेगा कि खाने की घटना एक है,
SR No.032716
Book TitleMahavir Ki Sadhna ka Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya, Dulahrajmuni
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy