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महावीर की साधना का रहस्य
एक आदमी के पास एक गाय थी। वह दूध कम देने लगी। सामने विवाह का प्रसंग आ रहा था। उस आदमी ने सोचा, गाय अब दूध कम दे रही है, इसलिए दुहना बन्द कर दूं। क्योंकि अभी बन्द कर दूंगा तो विवाह के अवसर पर सारा का सारा दूध एक साथ ही निकाल लूंगा। उसने गाय को दुहना बन्द कर दिया । बीस दिन बीत गए । विवाह आया । दूध की जरूरत थी। उसने सोचा कि आज एक साथ ही बीस दिनों का दूध निकाल लूं । बड़ा-सा बर्तन लेकर, बहुत बड़ी आशा लेकर गाय के पास गया। जाकर थनों को धोकर दूध दुहना शुरू किया तो दूध की एक धार भी नहीं निकली। गाय जो दूध प्रतिदिन देती थी, वह भी सूख गया। उसने सोचा यह क्या हुआ ? आज तो बीस सेर दूध मिलना चाहिए था परन्तु एक बूंद भी नहीं आ रही है। उसने काफी श्रम किया परन्तु दूध की एक बूंद भी नहीं मिली, जो था वह भी सूख गया। ___ हमारी शक्तियां भी ऐसे ही सूख जाती हैं । हम काम में नहीं लेते हैं और हमारी शक्तियां क्रमश: समाप्त होती चली जाती हैं। हमारे भीतर जितनी शक्तियां हैं, हम उन्हें जानते ही नहीं और थोड़ा जानते भी हैं तो उनका उपयोग भी नहीं करते । फलतः उनके स्रोत बन्द हो जाते हैं।
साधना का मतलब है अपनी शक्तियों से परिचित होना और उनका नियमित उपयोग करना। हम शांतिपूर्ण जीवन जी सकें, परिस्थितियों के आघात और प्रतिघात में मन को संतुलित और शांत रख सकें और उनका शांति से मुकाबला कर सकें, इतनी स्थिति अगर किसी में आ जाती है तो ध्यान-साधना की बहुत बड़ी उपलब्धि मैं मानता हूं।