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सूत्रकृताङ्गे भाषानुवादसहिते पञ्चमाध्ययने द्वितीयो शके: गाथा २५
• एतदनन्तरोक्तं दुःखविशेषमन्यत्राप्यतिदिशन्नाह -
जो दुःख विशेष पहले कहे गये हैं, वे दूसरी जगह भी होते हैं, यह बताने के लिए शास्त्रकार कहते हैं
एवं तिरिक्खे मणुयासु (म) रेसुं, चतुरंतऽणंतं तयणुव्विवागं । स सव्वमेयं इति वेदइत्ता, कंखेज्ज कालं धुयमायरेज्ज
नरकाधिकारः
। इति श्रीनरयविभत्तीनाम पंचमाध्ययनं समत्तं ।। (गाथाग्रं० ३६१ ) छाया - एवं तिर्य्यक्षु, मनुजासुरेसु, चतुरन्तमनन्तं तदनुविपाकम् । स सर्वमेतदिति विदित्वा काइक्षेत काल ध्रुवमाचरेदिति ब्रवीमि ॥
अन्वयार्थ - ( एवं ) इसी तरह (तिरिक्खे मणुयासुरेसुं) तिर्य्यख, मनुष्य और देवताओ में भी (चतुरंतऽणंतं) चतुर्गतिक और अनन्त संसार तथा ( तयणुव्विवागं) उनके अनुरूप विपाक को जाने ( स ) बुद्धिमान पुरुष (एयं ) इन (सव्वं) सब बातों को (वेदइत्ता) जानकर (कालं कंखेज्ज) अपने मरण काल की प्रतीक्षा करे और (धुयमायरेज्ज) संयम का पालन करे ।
।। २५ ।। त्ति बेमि
भावार्थ - जैसे पापी पुरुष की नरकगति कही है, इसी तरह तिर्य्यक्, मनुष्य और देवगति भी जाननी चाहिए । इन चार गतियों से युक्त संसार अनन्त और कर्मानुरूप फल देनेवाला है। अतः बुद्धिमान् पुरुष इसे जानकर मरण पर्य्यन्त संयम का पालन करे ।
टीका - 'एवम्' इत्यादि, एवमशुभकर्मकारिणामसुमतां तिर्यङ्गनुष्यामरेष्वपि 'चतुरन्तं' चतुर्गतिकम् 'अनन्तम्' अपर्यवसानं तदनुरूपं विपाकं 'स' बुद्धिमान् सर्वमेतदिति पूर्वोक्तया नीत्या 'विदित्वा' ज्ञात्वा 'ध्रुवं' संयममाचरन् 'कालं' मृत्युकालमाकांक्षेत्, एतदुक्तं भवति- चतुर्गतिकसंसारान्तर्गतानामसुमतां दुःखमेव केवलं यतोऽतो ध्रुवो - मोक्षः संयमो वा तदनुष्ठानरतो यावज्जीवं मृत्युकालं प्रतीक्षेतेति, इतिः परिसमाप्तौ ब्रवीमीति पूर्ववत् ॥२५॥
॥ नरकविभक्त्यध्ययनं पञ्चमं परिसमाप्तमिति ॥
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टीकार्थ अशुभ कर्म करनेवाले प्राणियों को तिर्य्यञ्च, मनुष्य और अमर भव में भी चतुर्गतिक तथा अनन्त और उसके अनुरूप विपाक प्राप्त होता है, इन सब बातों को पूर्वोक्त रीति से बुद्धिमान् पुरुष जानकर संयम का आचरण करता हुआ मृत्यु काल की प्रतीक्षा करे, भाव यह है कि चतुर्गतिक संसार में पड़े हुए जीवों को केवल दुःख ही मिलता है, इसलिए बुद्धिमान् पुरुष मरण पय्र्यंत मोक्ष या संयम के अनुष्ठान में तत्पर रहे । इति शब्द समाप्ति अर्थ का द्योतक है । ब्रवीमि पूर्वोक्त् है ।
यह नरक विभक्त नामक पाँचवाँ अध्ययन समाप्त हुआ ।
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