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छठ्ठी हजा]
મેંગણી તાલુકાના ઇતિહાસ ॥ छंद जाति दुमीला ॥
गह कंत निशान गुणाधिश गावत चोंप करी जदराण चडे । अमदंपुर, वेग चत्रकुट प्राग वडे ॥ ओपत, तीरथ राज त्रवेणी तीरे । माझल, कोडहिसें गंग स्नान करे ॥ १
पुर आय सजी वझतें अमरं सरदार पुरंदर माधवेश मणी जदुवंशही
झुक भार अढार रहे लुंम झुमीय, बेडा त्रीबीध समीर वहे । शितमंद सुगंध चले झक झोरस, लेर अलोकीक भात लहे ।
नहिं काम अजा ।
उन्मत्त कलोल चले गहरे, अत हेरत कोटीक पाप हरे || माधवेश० ॥२ जमुना सरसती मंदाकीनी जोपत, लोपत गेमकीसे गलजा । पुनवंत रु बेश रहे त्रटके पर, अंग करे अस जोर प्रभाव रहे जग उपर देखतही जमदूत डरे ॥ माधवेंश ० ||३ तीन दान- त्रीक्रोड सुरं बट के त्रट, केशवकी नीत सेंव करे । अखीलं नभ मंडळके करता अब, पोढ रहे यह पात परे ।
सुरजा दीय देव करे नीत सेवन, ध्यान जोगस इंमेस धरे ॥ माधवेश०||४
सब तीरथ मध फीरे सरवे संघ, कोड वीवेक विचार कीयं । बनराबन कुंज नीरख अबें, ग्रह गोकुलसे मथुरांजी गयं । गुणवंत गयाजीय गेमस गंजन, श्राध सरोयह देव सरें ॥ माधवेस०॥५
हरखंतही हेमदीये ध्विजके हथ, मोजसें दी गौ द्रव भोम पोशांग दीये के ध्विजह, बेग क्रीती यह जयकार अपार सो छाय रह्यो जग, झुम करे सुर अवधपुर आय तीरे सरजु अब, देशन तें परीयाण दीये । असबीध तीरथकीए मनआनंद, 'भीम' भनंत
जदुरान मनु सुत पाठ बीराजत, घोर
बाल
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हेंम मढी । लोक बढी ।
पुष्प झरे || माधवेश० ॥६
सांसह
कविराजभीमजी
पधारे ॥
छप्पय-कीये गंग अस्नान, प्रेमसें धरूं धरे सुभग हरी ध्यान, वेहद सुभं दान वधारे ॥ बाजां बेहद
बजाय, सहरमें आनंद छाये ॥
खुब लोक देखो
अपार भये ।
आनंद घरे || माधवेश० ॥७
हर खंत, गुणीजन रागही गाये ॥
सधर, भोम बीयो अमरीषभयो ।
कहे, काम बडो जगमें कीयो ॥ १ ॥
युं
|| गुणवर्णन गित ||
भी जीतही अजीत आज क्रीतको बजाय डंका, नीतका सबुत नांही अनीतका नाम ॥ प्रीतका पालणं सुध रीतका राखणं पेखा, चीत्तका गंगेव यदु अमोतका शाम ॥ १