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________________ २०० શ્રીયદુવ’શપ્રકાશ ( अथभपड ) बेठी जरूरु ||१२|| परदखणा पाखळी, दीघ जाहर तदसातद || मानसरोवर मांही, हंस हलीओ जाणे हद || मगमग जळ असमेघ, वेद ब्राह्मणां वदीजे ॥ चारमंगळ चतुरंग, कोड जश लीयण कीजे ॥ सहबियां सरस आशिष दे, भाणचंद, धरपे भरु || गहवंत अजाराणी गहे, जलणमंदर पीठ केळके पत्र, पवित्रवेणी सु फणंपत || चंद्रवदनी मृगचखी, हा भ्रमलासु भमरमत ॥ दीपनासिका दरस, दोयबंब अधुर सुदेखण || दंतकली दाडमी, वाण सरसति विशेषण || कंबली शंख सरसी कंठे, देव देख धनधन देखे || सतवति सूरज सुरजसखे, भरी उमंग झाळां भ्रखे ॥१३॥ कळशपयोधर कनक, हस्त हरिसूंढ अमरच अवतरण, उदरवनतके त्रिवळी त्रवेणी तीर, प्रागवड नाभि प्रमाणी ॥ लंककेहरि लंग्धीय, जंघ कदळी थंभ जाणी ॥ पगपाण उभय रखियां पदम्, लखे गुण बत्रिस लखण ॥ आवाह करम तनआकृति, जे राम राम कहति जलण || १४ || जपेराम जेराम, रामश्री अवर जपावे || द्यखे धोम चखधोम, अगन बारह मख आवे ॥ लगेझाळ विक्राळ, काळ असराळ कियो कोइ || सूर कहे शाबाश, सरा शाबाश कहे सोइ || अजमालनाथ अमरापूर, सध्थ पथ्थ लीधो प्रबल ॥ कलीकथ्थ रखण सूरजकुंबर, महासति झीलण मंगल || १५ || चलण होम हंसचाल, होम जंघा कदळी थंभ ॥ होम लंक केहरी, होम उरबांह अचंभ | होमहाथ ग्रतहोम, होम ग्रीवासी उज्जल || वदन होम रच विविध, होमगण वर्नन निर्मल ॥ हलये || मलये ||
SR No.032687
Book TitleYaduvansh Prakash ane Jamnagarno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMavdanji Bhimjibhai Rat
PublisherMavdanji Bhimjibhai Rat
Publication Year1934
Total Pages862
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size24 MB
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