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________________ इसके बाद लिखा है कि उसका पुत्र सहणपाल मोजदीन नृप का मुख्य प्रधान था । उस राजा ने कच्छप तुच्छ ( कच्छ ? ) देश को घेर लिया तब दुख से रोते हुए लोगों पर दया लाकर सहणपाल ने देश को मुक्त कराया । यवनाधिप ने १०१ तार्क्ष्य और ७ मुद्राओं से मंत्री को पुरष्कृत किया । सहणपाल के पुत्र नैणा को सुलतान जलालुद्दीन ने समस्त मुद्राएं देकर राज्य का सम्पूर्ण अधिकार सौंपा। उसने कलिकाल केवली श्री जिनचंद्रसूरिजी के साथ शत्रु जय - गिरनार तीर्थों की यात्रा की थी । इस ४७ श्लोकों की प्रशस्ति में और भी अनेक ऐतिहासिक ज्ञातव्य हैं । मण्डन के काव्य चम्पूमण्डन, अलङ्कारमंडनादि ग्रन्थों की प्रशस्तियों में भी ऐतिहासिक तथ्य हैं । यहाँ उपर के श्लोकों में जालोर के सम्बन्धित श्लोकों को ही दिया गया है तथा बाद के ५-६ श्लोकों का भावार्थ समय निर्द्धारित करने में सहायक होगा क्योंकि इन श्लोकों में जालोर के सोमेश्वर और आनन्द पितापुत्र नृपतिद्वय के आभू और अभयद के मुख्य मंत्री होने का उल्लेख है । ये पन्द्रहवीं शताब्दी के प्रामाणिक उल्लेख हैं जिन पर जालोर के इन दोनों शासकों पर नया प्रकाश पड़ता है । ये दोनों राजा सम्भवत: नाडुल के चौहानोंकीर्तिपाल और परमार धारावर्ष - वौसल के मध्यवर्त्ती चौहान शासक थे जिनका आगे उल्लेख किया जा चुका है । " प्रतिष्ठा लेख संग्रह " के लेखाङ्क ३६४ में सवार्ड माधोपुर के विमलनाथ जिनालय की पंचतीर्थी का लेख प्रकाशित है जो मांडवगढ़ के सुप्रसिद्ध स्वर्णगिरिया वंश का है जो इस प्रचार है ।। संवत् १५०३ वर्षे वैशाख सु० ५ श० श्रीमालवंशे स्वर्गगिरिया गोत्रे सा० चाहड़ भार्या गौरी सुतस्य सं० चंद्रस्य स्व पितृव्य भ्रातुः पुण्यार्थं सं० देहड़ भा० गांगा सुत सं० धनराजेन ल० भ्रातृ सं० खीमराज सं० उदयराजादि युतेन श्री आदिनाथ बिंबं कारितं श्री खरतर ग० श्री जिनचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं नंदतात् ॥ टिप्पणी-बिजोलिया के सं० १२२६ के शिलालेखानुसार अन्तिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर थे जिनके पूर्वज विग्रहराज ने जाबालिपुर (जालोर), पाली और नाडूल को जीत लिया था । अतः आभू सोमेश्वर का मुख्य मंत्री होगा । आनंद का मंत्री अभयद बतलाया है यह आनंद सोमेश्वर का पुत्र था । विग्रहेश सोमेश्वर का बड़ा भाई विग्रहराज चतुर्थ - अपर नाम वीशलदेव था । जिसे अभयद के पुत्र अम्बड़ ने स्थापित किया । - अंबड़ का पुत्र सहणपाल जिस मोजदीन का मुख्य मंत्री था वह रजिया बेगम का भाई मोइजुदीन - बहराम ( सं० १२९६-९७ से १२९८-९९ ) था । ५४ ]
SR No.032676
Book TitleSwarnagiri Jalor
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherPrakrit Bharati Acadmy
Publication Year1995
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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