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कंसारा. नट नाणुटीआ, घडिया घाट वेचइ लोहटीजा। कागल कापड़ नइ हथियार, साथि सुदागर तेजी सार ॥१६॥
तल्यां सूषडां तोलइ मान, नागरवेलि अणीआलां पान । इणिपरि वस्त विकाइ बहू, जे जोईइ ते लाभइ सहू ॥१७॥
घडी घडी घडीयाले सान, राति दिवस नु लाभइ मान । चहुटां चउक चउतरा घणां, ठामि ठामि मांडइ पेषणां ॥१८॥
सेरी सांथ मोकली वाट, नगर मांहि छोह पंकित हाट । घांची मोची सूई सूतार, वसइ नगर मांहि वर्ण अढार ॥१९॥
गांछा छीपानइ तेरमा, विवसाईया वसइ नगरमां । जापापणि काजि सहु मिलइ, चहुटइ हईइ हईउं दलइ ॥२०॥
आसापुरी आदि योगिनी, देव चतुर्मुख गणपति अनी। कान्ह स्वामि गिरूआ प्रसाद, शिषर तडोवडि लागु वाद ॥२१॥
आठ पुहर नितपूजा करइ, ईडे ध्वजा वस्त्र फरहरइ । वलतइ वारि हुइ नितुजात्र, नाटक नृत्य नचावइ पात्र ॥२२॥
पूरइ प्रत्या ध्याइ लोक, भूष दूष नइ टालइ शोक । जोइ जिणाला ठाम विसाल, वसही देहरां नइ पोसाल ॥२३॥
गढ ऊपरि जल ठाम विसाल, झालर वावि कुड जावालि । वारू वावि मांडही तणी, साहण-वावि अति सोहामणी ॥२४॥
राणी तणी वावि गंभीर, नटरष वावि निरमल नीर । सोभित बुर्ज बुर्ज काकरउ, नदी तरूअर ऊमाहरउ ॥२५॥
साल्हा चउकी करहड़ी जाणि, कान्हमेर रूयड़उ वषाणि । साल्हा वाडी तरूअर चंग, राय तणउ छइ मंडप रंग ॥२६॥
जीणइ वसइ जालउरउ कान्ह, राज ऋद्धि छइ इंद्र समान । राम पोलि अतिरुलियामणी, त्रिणइ पोलि तलहटी तणी ॥२७॥
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