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तोर्थ श्री स्वर्णगिरि - जालोर
स्वर्णगिरि पहाड़ के नीचे उत्तर-पूर्व की ढालू जमीन पर बसा हुआ जालोर नगर जोधपुर १२१ किलोमीटर दक्षिण में है । यह प्राचीन नगर सुकड़ी नदी के वाम तट पर है और इसके पूर्व और उत्तर की ओर चार पक्के दरवाजे और जीर्णावस्था में प्राचीर भी विद्यमान है । जावालिपुर, जाल्योधर, जालोर के तथा कंचनगिरि, कनकाचल आदि स्वर्ण वाचीपर्याय इसी स्वर्णगिरि के नाम है । इस प्राचीन और ऐतिहासिक नगर को न केवल मारवाड़ की ही बल्कि प्रतिहार सम्राट वत्सराज की राजधानी अर्थात् प्राय: अर्द्ध भारत की राजधानी होने का गौरव प्राप्त था। जिनहर्ष गणि कृत वस्तुपाल चरित्र ( प्रस्ताव २ ) में इसे मरुस्थली के भालस्थल पर सुशोभित तिलक की उपमा दी गई है । यतः
इतो मरुस्थली मालस्थली तिलक सन्निभे । जावालिनगरे स्वर्णगिरि श्रृंगारकारिणी ॥७४॥