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________________ पोसवाल जाति का इतिहास के हाकिम रहे। इसके बाद भाप जोधपुर में सेशन जज के पद पर नियुक्त हुए । वर्तमान समय में भी भाप इसी पद पर काम कर रहे हैं । आप जोधपुर के शिक्षित समाज में तथा ओसवाल समाज में वजनदार तथा लोकप्रिय सजन हैं। आपके पुत्र मोदी इन्द्रनाथजी हैं। मोदी इन्द्रनाथजी का जन्म संवत् १९६२ में हुआ। आपने बी० ए० एल० एल० बी० तक उच्च शिक्षा प्राप्त की। सन् १९२७ में आप महाराजा साहिब के प्राइवेट सेक्रेटरी के ऑफिस में ऑफिस सुपरिटेण्डेण्ट हुए। सन् १९३० से १९३३ तक आप स्टेट कौन्सिल के मेम्बर इन वेटींग के सेक्रेटरी रहे । आप बड़े कुशाग्र बुद्धि के नवयुवक हैं। श्री जवरनाथजी मोदी ने भी उच्च शिक्षा पाई है। इस समय आप महकमे खास में नियुक्त हैं। श्री दीनानाथजी के तृतीय पुत्र बैजनाथजी थे, जिनके पुत्र शार्दूलनाथजी जाखोर और सांचोर के हाकिम रहे। शार्दूलनाथजी के चार पुत्र हुए-मिश्रीनाथजी, चतुरनाथजी, रूपनाथजी, और सोमनाथ जी। श्री रूपनाथजी के पुत्र श्रीनाथजी है जो टीचर्स ट्रेनिंग स्कूल में इन्स्ट्रक्टर हैं । आपको कविता बनाने की विशेष रुचि है। इनकी लिखी हुई दर्जनों पुस्तकें इस समय प्रचलित हैं। श्री हरनाथजी के लघु भाता गोपीनाथजी के पौत्र अजबनाथजी हुए, जिनके पुत्र बदरीनाथजीजो उमरकोट के हाकिम थे-सं० १०४४-८५ के लगभग उमरकोट के युद्ध में काम आये आप के प्रपौत्र वर्तमान में वृद्धनाथजी विद्यमान हैं जो स्टेट सर्विस में हैं। बदरीनाथजी के कनिष्ट भ्राता मोदी रामनाथजी सं० १८८४ के लगभग दौलतपुरे में हाकिम थे । श्री हरनाथजी के सबसे छोटे भ्राता लक्ष्मीनाथजी थे जिनके वंशज वर्तमान में माणकचन्दजी हैं। आप स्टेट सर्विस में है। यह परिवार जोधपुर की ओसवाल समाज में उत्तम प्रतिष्ठा रखता है तथा लगातार कई पीढ़ियों से जोधपुर स्टेट की सेवाएँ करता आ रहा है। मोदी फत्ताजी का परिवार मोदी फत्ताजी के जगन्नाथजी और जसवन्तजी नामक दो पुत्र हुए। मोदी जगन्नाथजी के ठाकुरसीजी तथा रूपचन्दजी नामक पुत्र हुए। इनमें से रूपचन्दजी के कोई संतान नहीं हुई। मोदी ठाकुरसीजी के मुकुन्दसी, रतनसी, सरदारसी और सावंतसी नामक : पुत्र हुए। इनमें मोदी रतनसीजी ने संवत् १४८५ । ८६ में मारवाड़ की सायरात का कंट्राक्ट किया, इसके एवज में उनको जोधपुर दरबार से सायरात की माफी का आर्डर मिला जो उनके पुत्र पदमसी तक पाला गया।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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