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चोपड़ा
मोदी मुकुन्दसीजी के हेमसीजी, गुमानसीजी और राजसीजी नामक ३ पुत्र हुए और गुमानसी जी के मोकमसीजी, कुशलसीजी और अचलसीजी नामक पुत्र हुए इनमें से मोकमसीजी हेमसीजी के यहां तथा कुशलसीजी राजमीजी के यहां दत्तक गये। मोदी पदमसीजी के पुत्र महताबसीजी ने संवत् १९२५ में जालोर शहर की कोतवाली की। उनके बाद क्रमशः जोरावरसीजी शकुनसीजी व मदनसीजी हुए । वर्तमान में मोदी मदनसीजी वैक्तिगका कारवार करते हैं । मोदी अचलसीजी के पुत्र लालसीजी ने सायरात में सर्विस की, इस समय आप रिटायर्ड हैं, इनके पुत्र गणपतसीजी पढ़ते हैं। मोदी कुशलसीजी के पुत्र तेजसी जी मौजूद हैं। इनके पुत्र करणसीजी बैटिग व्यापार करते हैं।
मोदी सरदारसीजी के थानसीजी, भानसीजी और ज्ञानसीजी नामक तीन पुत्र हुए। ज्ञानसीजी के कुंदनसीजी और चिमनसीजी नामक पुत्र हुए । इनमें कुन्दनसीजी भानसीजी के नाम पर दत्तक गये । मोदी थानसीजी और चिमनसीजी के कोई संतान नहीं हुई। मोदी कुन्दनसीजी के पुत्र दीपसीजी संवत् १९८० में गुजरे । इनके नाम पर मोदी रघुनाथसीजी (पृथ्वीराजजी के खानदान में मोदी विश्वम्भरनाथजी के पुत्र ) संवत १९७६ में दत्तक लिये गये। आपके यहां बैटिंग का कारबार होता है। भाप उत्साही युवक हैं । आपके उगमसी नामक पुत्र हैं।
मोदी खींवसीजी ,के हुकुमसीजी जेतसीजी और सुलतानसीजी हुए। इनमें हुकुमसीजी के कोई संतान नहीं हुई। सुलतानसीजी अभी विद्यमान हैं उनके पुत्र बादलसीजी निसंतान गुजर गये। जेतसीजी के बख्तावरसीजी और सुकनसीजी नामक २ पुत्र हुए। इनमें बख्तावरसीजी विद्यमान हैं, इनके यहां मोदी जवरनाथजी के पुत्र सूरतसीजी दत्तक आये हैं। मुकनसीजी जोरावरसीजी के नाम पर दत्तक गये हैं।
सेठ बालचन्द रामलाल चोपडा, रायपुर (सी० पी०) - इस परिवार के पूर्वज कुक्कड़ चोपदा महाराबजी लोहावट से १० मील दूर सेतरावा नामक स्थान में रहते थे। वहाँ से यह कुटुम्ब लोहावट आकर बसा । महारावजी के राजसीजी, पुरखाजी तथा गोमाजी नामक ३ पुत्र हुए।
सेठ रघुनाथदास बालचन्द-पुरखाजी के गुलाबचन्दजी, रघुनाथदासजी तथा बालचन्दजी नामक ३ पुत्र हुए । इन तीनों भाइयों ने अपने चचेरे भाई गेंदमलजी के साथ लगभग १२५ साल पहिले ब्यापार के लिये यात्रा की तथा नागपुर और उसके आसपास पारदी और महाराजगंज में अपनी दुकाने खोली । धीरे २ इन बन्धुओं का व्यापार रायपुर, धमतरी, राजनांद गाँव, कलकत्ता और बम्बई में फैल गया, और छत्तीसगढ़ प्रान्त में रघुनाथदास बालचन्द के नाम से यह फर्म नामी मानी जाने लगी । इन बन्धुओं में से