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________________ चौपड़ा मोदी पथाजी का खानदान मोदी पीथाजी के माचन्दजी और बन्दकी नामक दो पुत्र हुए। इनमें माखचन्दजी के पुत्र मोदी मूलचन्दजी संवत् १८७२ में सिंघवी इन्दनी के साथ मीखां के सिपाहियों द्वारा घायल हुए और उसीसे उनका देहान्त्र हुआ, उनका दाह संस्कार सिंघवी इन्द्रसजी के समीप ही किया गया । मोदी दीनानाथजी चन्दनी के चार पुत्र हुए- हरनाथजी, गोपीनाथजी, शिवनाभजी और लक्ष्मीनाथजी । हरनाथजी के पुत्र दीनानाथवी को महाराजा मानसिंहजी के समय जयपुर घेरे में सहयोग देने के उपलक्ष्य में एक गाँव पट्टे हुआ था । आप जयपुर के वकील भी बनाए गये थे । आपके प्राणनाथजी नवलनाथजी, मीनाथनी, बैजनाथजी तथा चन्दननाथजी नामक ५ पुत्र हुए । मोदी प्राणनाथजी - आप जोधपुर के हाकिम रहे तथा आपके पास एक गांव जागीर में था । इन्होंने खासे के समय में कुछ दिनों तक दीवानगी का काम भी देखा था। बैजनाथजी के नाम पर जोधएक और गोलवाड़ की एवं मीठावाथजी के शिद की हुकुमत रही । मोदी सूरजनाथजी सवलताथजी सं० १९१५ के कमभम सिंथियों की कढ़ाई में मेड़ के पास काम आए। इनके दो पुत्र हुए, गुलाबनाभजी और अमरनाथकी। अगरनाथजी के पुत्र सूरजनाथजी हुम जिन्होंने महाराजा बख्तसिंहजी के समय में फ़ौज के जाकर भरूनियावाल, गूलर, आसोप तथा भाऊवा के बागी ठाकुरों को परास्त किया । इनका देहान्त १९५० में हुआ। आपके पुत्र सुजाननाथजी हुए जो अच्छे विद्वान व कट्टर भार्य समाजी थे । वर्तमान में सुजाननाथजी के दो पुत्र हैं। सरदारनाथजी और सोभाग्यनाथजी । मोदी सरदारनाथजी अपने अल्प अवस्था में ही वकाळात की और इस समय जोधपुर के योग्य वकीलों में आपकी गिनती है आप बड़े मिलनसार उदार तथा प्रतिष्ठित सज्जन हैं। जोधपुर के शिक्षित समान में वजनदार व्यक्ति माने जाते हैं। सौभाग्यनाथजी पिताजी के स्वर्गवास होने के समय बहुत छोटे थे । आप परिश्रम पूर्वक विद्या प्राप्ति में सलग्न रहे। जून १९३१ में आपने एल० एल० बी० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की और अभी आप जोधपुर स्टेट में वकाळात करते हैं । मोदी दीनानाथजी के छोटे पुत्र चन्दननाथजी के अमरनाथजी और अमृतनाथजी नामक पुत्र हुए । अमरनाथजी एवं उनके पुत्र फूलनाथजी भी राज्य की सर्विस करते रहे। फूलनाथजी का स्वर्गवास संवत् १९७७ में हुआ । मोदी शम्भूनाथजी -- मोड़ी फूलनाथजी के पुत्र शम्भूनाथजी और जबरनाथजी हैं। शम्भूनाथजी का जन्म १९४३ में हुआ । आपने बी० ए० तक शिक्ष्म प्राप्त की है। आप सन् १९१९ से १६ तक कई स्थान ९५ ४३३.
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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