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ललनायी
प्रयत्न पूर्वक भाग लेते थे । आप महादेव मन्दिर, मैन पाठशाला और अन्य कई संस्थाओं के ट्रस्टी थे । आपने जिनदस म्यायाम शाळा का स्थापन किया था । आप भी पार्श्वनाथ विद्यालय वरकाणा के काइफ़ मेम्बर थे। आपने अपने गाँव में एक कम्बा पाठशाला शुरुबाई है। आप पूना के जैन समाज में बजनदार पुरुष थे। संवत् १९९० की कासी वहीं १३ को आप स्वर्गवासी हुए। आपके सुखराजजी, केसरीमछत्री, मोहनलालजी तथा कान्तिकाजी पुत्र विद्यमान है।
सेठ सुखराजजी वाणी का जन्म १९५८ में हुआ आप श्री भामानन्द जैन कायमेरी पूना हे सेक्रेटरी हैं। इसमें भापने बहुत अधिक उत्पति की है। इस वाचना में रूपभग १० हजार प्रन्थ है। आप मारवाद प्राविंशियल जैन कॉन्फ्रेंस के सेक्रेटरी तथा उसकी स्टेडिंग कमेटी के मेम्बर हैं। इसी तरह वरकाणा विद्यालय एजूकेशन बोर्ड के सेक्रेटरी है। आपके छोटे भ्राता केसरीमलजी फर्म के व्यापार मैं सहयोग देते हैं। तथा दो पढ़ते है। आपके वहाँ जवाहरमक सुबराज के नाम से बैताक पैठ मैं बर्तनों का व्यापार होता है। आप मन्दिर भार्गीय महाब के मनुवादी हैं।.
सेठ मीकचंद केवलचंदजी ललवाणी, मनमाड
सेठ मेघराजजी ललवाणी बढ़ी बाद (मारवाद) में रहते थे। इनके हिन्दूमकजी, छोटमलजी तथा नवलमलजी नामक ३ पुत्र हुए। वे बंधु देश से व्यापार के लिये मनमाड के पास नीमोन नामक स्थान में आये । छोटमलजी के केवकचंदजी तथा दीपचन्दजी नामक १ पुत्र हुए, इनमें केवलचन्दजी, हिन्दूमलजी के नाम पर दसक गये । सेठ केवकचन्दजी की मनमाड़ के व आसपास के ओसवाल समाज में अच्छी प्रतिष्ठा थी । संवत् १९५२ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र भीकचन्दजी का जन्म संवत् १९३८ में हुआ । ५ साल पूर्व आपने मनमाड में अपना स्थायी निवास बनाया । व्यक्ति हैं। आपके यहाँ भीकचन्द केवचन्द के नाम से आसामी लेनदेन का काम होता है ।
आप प्रतिष्ठित
इसी प्रकार इस परिवार में दीपचन्दजी के पौत्र करदासजी मोर मोतीकाजी तथा नवलमलची के पौत्र बालचन्दजी नीमोन में व्यापार करते हैं।
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