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भोसवाल जाति का इतिहास
लोगों के साथ आपने भी पूर्ण रूप से उसकी सहायता की। इससे प्रसन्न होकर सरकार ने टीवे. परगने महाराजा साहब को दिये। इसके पथात् संवत् १९२० में आप मुसाहव आला बनाये गये । इसी अवसर पर आपको मोहर का अधिकार भी वक्षा गम। संवत् १९२९ में गद्दी नशीनी के अवसर पर आपने भी अपने चाचा मेहता छोगमलजी के साथ पूरी २ मदद की। इससे प्रसन्न होकर महाराजा डूंगरसिंहजी ने आपको अमरसर और पलाणा नामक दो गांव जागीर में प्रदान किये। जिस समय आप भावू वकीक रहे थे उस समय आपको हाथी, खिल्लत और चंवर का सम्मान प्रदान किया था । आपको पुस्तैनी सारे अधिकारों का उपयोग करने का अधिकार भी मिला था। महाराव की पदवी भाप लोगों को पुश्तैनी रूप से मिली हुई है। आपका संवत् १९३९ में स्वर्गवास हो गया। आपके तीन पुत्र थे, जिनके नाम क्रमशः मेहता किशनसिंहजी, महाराव सवाईसिंहजी और मेहता वल्लभसिंहजी थे।
राव गुमानसिंहजी-आप महाराव हरिसिंहजी के छोटे भाई थे। आपका जन्म संवत् १८४४ का था। आपको संवत् १९१० में मुसाहिबी का सम्माननीय ओहदा दिया गया। संवत् १९१४ में भाप भी गदर के इन्तिजाम के लिये भेजे गये। आपके कार्यों से प्रसन्न होकर दरबार ने भिन्न-भिन्न समय में वापको कदा, मोतियों को कंठी एवम् सिरोपाव प्रदान किये। एक बार महाराजा साहब आपकी हवेली पर गोठ अरोगने पधारे। इस अवसर पर भापको हमेशा के लिये पैरों में सोना पहनने का अधिकार पक्षा। आपका संवत् १९२५ में स्वर्गवास हो गया। आपके जवानसिंहजी और दलपतसिंहजी नामक दो पुत्र थे।
राव जसवंतसिंहजी-आप भी महाराव हरिसिंहजी के छोटे भाई थे। संवत् १४९८ में आपका जन्म हुआ। आप बीकानेर-स्टेट की कौंसिल के मेम्बर रहे। संवत् १९१४ में गदर के समय तथा संवत् १९२९ में महाराजा को गद्दी पर विठलाते समय मापने बहुत परिश्रम और बुद्धिमत्ता पूर्ण कार्य किये। संवत् १९३० में आप भावू वकील रहे। संवत् १९३१ में महाराजा डूंगरसिंहजी आपकी हवेली पर गोठ अरोगने पधारे। इस अवसर पर आपके द्वारा की गई सेवाओं के उपलक्ष्य में आपको बरसनसर नामक एक गांव जागीर में प्रदान किया गया। साथ ही राव की उपाधि और ताजिम प्रदान कर आपका सम्मान बढ़ाया । आपको हाथी और खिल्लत का भी सम्मान प्राप्त हुआ। आप भी इस परिवार में नामांकित भक्ति हुए । आपका स्वर्गवास संवत् १९४० हो गया। आपके छत्रसिंहजी और अभयसिंहजी नामक र पुत्र थे।