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बीसवाल जाति का इतिहास
लगभग १० हजार की आय की जागीर आपके पास रही, जिनमें जालौर परगने का साँ) नामक १ ग्राम अब भी इस परिवार के एक सजन के अधिकार में है। सिंघवी गंभीरमलजी ने गुलाब सागर पर भी रघुनाथजी का मन्दिर व महामन्दिर में एक रामद्वारा बनाया।
गम्भीरमलजी के पुत्र हमीरमलजी तथा पौत्र सिरेमलजी हुए। सिरेमलजी के अधिकार में भागासणी व साथू नामक ग्राम थे। इन्होंने राज्य का कोई मोहदा स्वीकार नहीं किया। इनके बहादुरमलजी व सुकनमलजी नामक २ पुत्र हुए। सिंघवी सुकनमलजी वीर प्रकृति के पुरुष थे। आप संवत् १९७० में अपनी जागिरो के गाँव सां) के अधिकारों की रक्षा के लिये राजपूत भोमियों से लड़ते हुए काम आये। इनके साथ ही इनके कामदार मेड़तिया लखसिंहजी भी अपनी स्वामिभक्ति का परिचय देते हुए काम आये। इस समय सुकनमलजी के पुत्र मानमलजी सवाईमलजी तथा अचलमलजी मौजूद हैं। मानमलजी अपनी जागीरी के गाँव सांथू की देखरेख व महकमे खास में सर्विस करते हैं। आपके छोटे भ्राता
पढ़ते हैं।
सिंघवी हिन्दूमलजी के पुत्र बख्तावरमलजी हवाला सुपरेन्टेण्डेण्ट थे। इस समय उनके प्रपौत्र किसनमलजी जेतारण में रहते हैं।
दीवान सिंघवी इन्द्रमलजी के बाद क्रमशः दूलहमलजी तथा जगरूपमलजी हुए। इस समय जगरूपमलजी के पुत्र सिवदानमलजी तथा शिवसोभागमलजी महकमें खास में सर्विस करते हैं।
सिंघवी नींवमलजी उमरकोट के हाकिम थे । इनके समरथमलजी तथा दूलहमलजी नामक दो पुत्र हुए, जिनमें दूलहमलजी, सिंघवी इन्द्रमलजी के नाम पर दत्तक गये। सिंघवी समरथमलजी हाकिम रहे। सिंघवी समरथमलजी के जसवन्तमलजी कानमलजी तथा केवलमलजी नामक ३ पुत्र हुए। इनमें केवलमलजी मौजूद हैं। जसवन्तमजी संवत् १९४४ से १९०० तक हाकिम रहे। इनके पुत्र गणेशमानी भी हाकिम थे। गणेशमलजी के पुत्र शिवनाथमलजी तथा कल्याणमलजी हैं।
___ सिंघवी कानमलजो के नथमलजी, बुधमलजी और वीसनमलजी नामक पुत्र विद्यमान हैं। सिंघवी नथमलजी समझदार व्यक्ति हैं । आपके पुत्र रणजीतमलजी एवं सरदारमलजी राज्य कर्मचारी हैं तथा गजमलजी बो० कॉम में अध्ययन कर रहे हैं। बुधमलजी के पुत्र गुलाबमलजी, मोतीमलजी, मदनमकजी तथा चाँदमलजी राज्य कर्मचारी हैं। श्रीयुत चाँदमलजी बी० ए० जोधपुर के सिंघवी परिकारों में प्रथम प्रेज्युएट हैं। आप प्राइवेट सेक्रेटरी आफिस में सर्विस करते हैं।
इसी तरह सिंघवी शंभूमलजी के परिवार में इस समय माधोमलजी तथा सरदास्मलजी के कुटुंग में बदमजी तथा रणरूपमळली हैं।