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________________ गोलखा श्री गुमानचन्दजी गोलेचा का परिवार ( मेसर्स आसकरण - गणेशमल पनरोटी ) मालिकों का मूल निवास स्थान फमैदी ( मारवाड़ ) का है । इस खानदान के समाज के मन्दिर अम्नाय को माननेवाले हैं। इस परिवार में भी दुलीचन्दजी हुए । गोलेछा दुलीचन्दजी के पुत्र गुमानचन्दजी के बहादुर चन्दजी नामक पुत्र हुए। इनके तीन पुत्रों में से यह खानदान धनसुखदासजी का है। धनसुखदासजी के चार पुत्र हुए जिनके नाम दीपचन्दजी, रतनलालजी, लक्ष्मीलालजी और जमनालालजी था । आपका जन्म क्रमशः संवत् १९१५, १९१८, १९२४ तथा १९३२ में हुआ 1 गोछा दीपचन्दी बड़े सज्जन और योग्य पुरुष हैं। आप संवत् १९४५ में फलौदी से अमरावती गये और वहाँ से संवत् १९५४ में आप बम्बई चले गये और वहाँ पर दीपचन्दजी गोलेछा के नाम से कॉन ब्रोकर्स के व्यवसाय को करने लगे । आपके केशरीचन्दजी और किशनलालजी नामक दो पुत्र हैं । इनमें से किशनलालजी रतनलालजी के नाम पर दत्तक गये हैं। रतनकाजी अजमेर में धन सुखदास रतनलाल नामक फर्म के मालिक थे। आपका संवत् १९३७ में अल्पायु में ही स्वर्गवास हो गया। केशरीचन्दजी का जन्म संवत् १९३४ का है । आप संवत् १९६३ से बम्बई स्वतन्त्र व्यापार करने लग गये हैं। आपसे संवत् १९८२ में स्वर्गवास हो गया । आपके पुत्र चम्पालालजी और पानमलजी अपना कार बार बम्बई में चला रहे हैं। आप श्वेताम्बर आप बड़े सज्जन और योग्य गोलेछा किशनलालजी का जन्म संवत् १९३७ का है। प्रारम्भ में आप दीपचन्दजी के साथ बम्बई में व्यापार करने लगे । तदनंतर संवत् १९६३ में आपने अलग होकर स्वतंत्र दुकान स्थापित की । संवत् १९८६ में आपने पनरोटी में आकर बैकिग का व्यवसाय चालू किया । पुरुष हैं। आप फलौदी में अपनी समाज में बड़े अग्रसर और मोअजीज व्यक्ति माने जाते हैं। आपके हृदय में बिरादरी की सेवा के भाव बहुत अधिक हैं । आपके इस समय तीन पुत्र हैं जिनके नाम आसकरणजी गणेशमलजी और जसराजजी हैं। आपकी फर्म का नाम पनरोटी में "आसकरण गणेशमल" पड़ता है । जौहरी हमीरमलजी गोलेच्छा, जयपुर इस परिवार के पूर्वज जौहरी जवाहरमलजी लगभग एक शताब्दी पूर्व बीकानेर से जयपुर आये और सेठ सदासुखजी उड्डा के यहाँ सर्विस की । आपके पुत्र दुलीचन्दजी भी ढड्डा फर्म पर मुनीमात ७७७
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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