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________________ भोसवाल जाति का इतिहास में वृद्धि की । गोलेछा उदयचन्दजी के गोड़ीदासजी तथा गोलेछा कस्तूरचन्दजी के माधवलालजी नामक पुत्र हुए । इन दोनों बंधुओं का कारवार संवत् १९२२ में अलग २ हुआ । गोलेछा गोड़ीदासजी का जन्म संवत् १९०० में 'हुआ । आपने भी व्यापार में तथा इज्जत में अच्छी उन्नति हासिल की। जबलपुर के ओसवाल समाज में आपकी पहिली दुकान थी। आपको दरबारी का सम्मान प्राप्त था । आपका स्वर्गवास संवत् १९४६ में हुआ। आपके पुत्र झुनमुनलालजी का जन्म संवत् १९३० सें 'हुआ । गोलेला भुनमुनढालजी - आप जबलपुर के नामी रईस थे । आप २० सालों तक म्यु० मेम्बर रहे। इसी तरह डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के मेम्बर तथा वाइस प्रेसिडेण्ट भी रहे। दरवारी सम्मान आपको भी प्राप्त था । सन् १९२८ के दिसम्बर मास में आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र सुन्दरलालजी का जन्म संवत् १९५६ में हुआ । आपने १९२० में बी. ए. तथा १९२९ में एल० एल० बी० की डिगरी हासिल की। इसके बाद आप ३ सालों तक जबलपुर में वकालत करते रहे। और इधर २ सालों से आप बालाघाट में वकालत करते हैं । आप बड़े सरल स्वभाव के मिलनसार सज्जन हैं। जबलपुर में आप का खानदान बहुत पुराना तथा प्रतिष्ठित माना जाता है । सेठ जेठमल रामकरण गोलेछा, नागपूर स्थान बीकानेर से संवत् इनके पुत्र जेठमलजी का मील की दूरी पर केनहाल इस परिवार के पूर्वज सेठ हरकचंदजी गोलेका अपने मूल निवास १८९५ में कामठी भाये । तथा यहाँ गुमाश्त गिरी और व्यापार किया। कंट्राक्टिंग लाइन में अच्छा अनुभव था । आपने संवत् १९१७ में कामठी से ३ ब्रिज नामक विशाल ब्रिज बनाने का कंट्राक्ट लिया । आप नागपुर से जबलपुर तक मेल कार्ट दौड़ते थे । इसी प्रकार आपने आर्मी के ट्रेसरर तथा कंट्राक्टर का काम भी संचालित किया था। संवत् १९२८ में आपका स्वर्गवास हो गया। आपके पुत्र सेठ रामकरणजी गोलेछा ने संवत् १९३० में " जेठमल रामकरण" के नाम से दुकान स्थापित की । तथा आप सन् १८७९ में बंगाल बैंक के ट्रेसरर हुए। आप संवत् १९५६ में स्वर्गवासी हुए। आपके नाम पर सेठ मेघराजजी बीकानेर से दत्तक आये । सेठ मेघराजजी गोलेछा का जन्म संवत् १९४९ में हुआ । आप संवत् १९६१ में इस फर्म पर दत्तक आये सन् १९२७ तक आपके पास इम्पीरियल बैंक की ट्रेसरर शिप रही। इसके बाद आपने मागपुर सिटी, सदर, मऊ छावनी तथा जयपुर, जोधपुर और साँभरलेक के पोस्ट की ट्रेसरी के ५ साल के लिये कंट्राक्ट लिये। जो इस समय भी आपके पास हैं । आपने अपने व्यापार को अच्छा बढ़ाया है। आपके ६ पुत्र हैं। जिनके नाम क्रमशः अभयराजजी, सिरेमलजी, उमरावमहजी, सिरदारमलजी, तथा रतनचन्दजी और विनयचन्द हैं। इनमें अभयराजजी व्यापार में भाग लेते हैं। इनकी आयु २० साल की है। ४७६
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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