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________________ गालेखा इस परिवार की खिचन्द, फलोदी में अच्छी प्रतिमा है। भाप लोगों ने संवत् १९४० में एक लापबेरी स्थापित की है। जिसमें २ हजार ग्रन्थ है। इसी तरह एक जैन कन्यापाठशाला आपकी ओर से यहां चल रही है। . सेठ अमरचंद अगरचंद गोलेछा, चांदा .... . इस परिवार का मूल निवास स्थान बीकानेर है। आप श्वेताम्बर जैन समाज के मन्दिर मार्गीय आम्नाय के मानने वाले गोलेछा गौत्र के सज्जन हैं। देश से ब्यापार के निमित्त सेठ अमरचंदजी गोलेछा, मागपुर आये, और वहां व्यवसाय शुरू किया, उस समय चांदा (उर्फ चांदपुर ) के गौंड राजा का आगमन नागपुर में हुआ करता था, उस समय गौंड राजा ने सेठ अमरचन्दजी गोलेछा को प्रतिष्ठित व्यापारी समझ कर अपनी राजधानी में दुकान खोलने को कहा, फलतः सेठ अमरचन्दजी गोलेजा ने करीब ९० साल पहिले चांदा में गल्ले की खरीदी फरोख्ती तथा आदत की दुकान की। सेठ अमरचंदजी के पुत्र अगरचंदजी गोलेछा ने इस दुकान के व्यापार और सम्मान को विशेष बदाया, आपके पुत्र गोलेछा सिद्धकरणजी का जन्म संवत् १९३३ की माष बदी को हुना। गोलेछा सिद्धकरणजी का धार्मिक जीवन विशेष प्रशंसनीय तथा उल्लेखनीय है। सी० पी० के सुप्रसिद्ध तीर्थ भादक में मन्दिर तथा धर्मशाला का निर्माण करवाने में आपने बहुत सहायता पहुंचाई। भारत सरकार ने आपको सारे देश के लिये आर्मस एक्ट माफ किया था। इस प्रकार सी० पी० तथा बरार के ओसवाल समाज में नाम एवं यश प्राप्त कर संवत् १९८९ की भादधा वदी ८ को आपका स्वर्गवास समाधि-भरण से (पदमासन लगाये हुए) हुआ। आपके पुत्र चैनकरणजी गोलेछा का जन्म संवत् १९६० में हुआ, आप अपने पिताजी के बाद भांदक तीर्थ कमेटी के प्रेसिडेंट हैं तथा सन् १९२७ से ३० तक चांदा म्यु. के मेम्बर रहे हैं। आपकी दुकान पर चांदा में ग्रेन शीड्स का व्यापार, लेनदेन, मालगुजारी तथा कमीशन का काम होता है। आपके वृटिश हह में २ तथा मुगलाई में ३ गाम जमीदारी के हैं। चांदा में आपकी दुकान प्रधान मानी जाती है। सुन्दरलालजी गोलेछा, बी० ए० एल० एल० बी०, बालाघाट .. इस परिवार के पूर्वज सेठ उदयचंदजी तथा गुलाबचन्दजी बीकानेर से संवत् १८७५ में जबलपुर आये। यहाँ आकर इन भाइयों ने सराफी तथा कपड़े का ब्यापार शुरू किया । इनके छोटे भ्राता गुलाबचन्दजी ने व्यापार में लाखों रुपये कमा कर इस परिवार की जमीदारी मकान बंगले आदि सम्पत्ति
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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