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________________ अध्याय पृष्ठाङ्क [ ३० ]. __ प्रधान विषय - दौहित्रे सति पुत्रप्रतिग्रहाभावः २७२२ दौहित्र होने पर पुत्रप्रतिग्रह नहीं करना, वयोंकि दौहित्र होने से अजात पुत्र भी पुत्र ही है ( २२१-२२४ )। किसी के सम्मिलित परिवार में अविभक्त धन के भागीदार की मृत्यु हुई यदि उसके पुत्री है और पुत्र नहीं है तो दौहित्र ही पुत्र के समान सभी कार्यों को करने व कराने का अधिकारी है (२२५-२२८)। जो कुछ धन अपुत्रक का है उसका सारा दायित्व उस मृतक की लड़की के पुत्र का है (२२६-२३०)। परधनापहारकाणां दण्डविधानवर्णनम् २७२३ जो व्यक्ति किसी भी प्रकार से दूसरे के द्रव्य को अपहरण करने की अनधिकार चेष्टा करे उसे राजा स्वयं कड़ा दण्ड दे और उसे अपने देश से बाहर निकालने का आदेश दे ( २३१-२३५)। जो व्यक्ति धर्मसङ्गत राज्य की प्रतिष्ठा में पूर्ण सहयोग दें उन्हें रक्षापूर्वक रखना चाहिये ( २३६-२४१) पुत्रत्वस्याधिकारितावर्णनम् २७२५ दौहित्र को पुत्रग्रहण की योग्यता ( २४२)। अपने इष्ट परिवार माता-पिता, श्रेष्ठ पुरुष आदि की आज्ञा
SR No.032671
Book TitleSmruti Sandarbh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages768
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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